पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/१२२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

( ११३ ) आदर-सूचक सर्वनाम अप कारक एकवचन बहुवचन क T; अपने आप लोग, अपलोगोंने कर्म-संप्रदान आपको इप लोगों को संबंध अापका-के-की अआप लोगो को-के-की | १६४---विभक्ति के योग से आदर-सूचक १६अप विकृत रूप में नहीं अता । इसके बहुवचन में “लो या सव जोड़ते हैं । निजवाचक-सना अप' कत अप कर्म-संप्रदान अपने को वा आपको करण-अपादान अपने से वो अपसे संबंध अपना-ने-नी १९५----निजवाचक सर्वनाम दोन वचने में एक-सा रहता है ।। इनका विकृत रूप “अपना है जो संबंध कारक में आता है। इसके कक्ष में ” विभक्ति नहीं आती; पर दूसरी विभक्तियों के पूर्व हिंदी आकारात संज्ञा के समान, इसके विकृत रूप में अंत्य र के बदले में हो जाता है । अपना” के बदले आप के साथ भी; विकल्प से, विभक्तियाँ जोड़ी जाती हैं ।। | ६ क ) कभी-कभी अपना और अप' संबंध-कारक को छोड़ शेय कारकों में मिलकर आते हैं; जैसे, अपने-अप, अपने आपको, अपने-आपमें ( ख ) “आप” से बनी हुई भाववाचक संज्ञा, “आपस” का उप- योग बहुधा संबध और अधिकरण फारको में होता है; जैसे आपस की लड़ाई, आपस में लड़ना । प्रश्नवाचक सर्वनाम क्या? एकवचन बहुवचन कच कारक क्वा