पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/१२७

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( ११७ ) : अप०-कोई’ सार्वनामिक विशेषण कालवाचक संज्ञा के अधिकरण , कारक में बहुधा अविकृत रहता है; जैसे, कोई घड़ी में, कोई दम में । - २०२–जब विशेषणों का उपयोग संज्ञा के समान होता है तब संज्ञा के समान उनको कारक-रचना होती है; जैसे, बडे को छोटों से, नीच का, दीन पर ।। गुणवाचक विशेषण की तुलना । २०३-हिंदी में विशेषगों की तुलना करने के लिये उसका रूप नहीं बदलता । तुलना का अर्थ नीचे लिखे नियमों के अनुसार प्रकट किया जाता है (१) जिस वस्तु के साथ अधिकता या न्यूनता की तुलना करते हैं उसका नाम अपादान-कारक में आता है और जिस वस्तु की तुलना करते हैं उसका नाम विशेषण के साथ आता है, जैसे राम से श्याम बडा है । चाँदी से सोना महँगा होता है। पौधा पेड़ से छोटा होता है। ।। (२) अपादान कारक के बदले बहुधा संज्ञा वा सर्वनाम के साथ

  • अपेक्षा' वा बनिस्बत” ( उर्दू ) संबंध-सूचक आते हैं और विशेषण ( अथवा संज्ञा के संबंध-कारक ) के पहले, अर्थ के अनुसार, 'अधिक' ।

( ज्यादा ) वा 'कम' विशेषण का उपयोग करते हैं; जैसे वह मेरी अपेक्षा अधिक चतुर है। दौलत के बनिस्बत ईमान ज्यादा कीमती | है। ज्ञान की अपेक्षा बुद्धि अधिक महत्व की है ।' राम श्याम से कम सावधान है । | ( अ ) अधिकता के अर्थ में कभी कभी बढ़कर या कहीं क्रिया-विशेषण आता है, जैसे, उनसे बढ़कर धनी कौन है ? वे मुझसे कहीं सुखी हैं। | ( ३ ) सर्वोत्तमता सूचित करने के लिये विशेषण के पहले सबसे सर्वनाम लगाते हैं और जिस वस्तु से तुलना करते हैं उसका नाम अघि