पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/१३०

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| ( १२० ) आठवाँ पाठ क्रिया का वाच्य नौकर लकड़ी काटता है । । लङ्ग काटी जाती है । माली ने फूल तोडा । फूल तोड़ा गया । लडका चिट्ठी लिखेगा । चिट्ठी लिखी जायगी ।। वह पुस्तक लावे ।। । पुस्तक लाई जावे । के २०५ ----बाईं ओर के वाक्यो म क्रियाओं द्वारा उनसे कत्तों विषय में कहा गया है, पर दाहिनी ओर के वाक्य में क्रियाएँ अपने कम के विषय में कुछ कहती हैं । बाई ओर की क्रियाएँ कत्तवाच्य और दाहिनी ओर की कर्मवाच्य कड़ाती हैं । दोन प्रकार की क्रियाएँ अर्थ में एक सी हैं, पर उनके रू में अंतर हैं, जिससे जाना जाता है कि कत्तृवाच्य में कत्त की और कर्मवाच्य में कर्म की प्रधानता रहती है। अकर्मक क्रिया में अमवाच्य नहीं होता क्योकि उनमें कर्म नहीं रहता। २०६–कत्त वाच्य क्रिया का कर्मवाच्य में उद्देश्य होकर कर्ता- कारक में आता है और यदि इसने नुख्य कक्ष को प्रगट करने की आवश्यकता हो तो उसे करण कारक में रखते हैं, जैसे बढ़ई कुरसी बनाता है । कतृवाच्य } बढ़ई से ( या बडई के द्वारा ) कुरसी बनाई जाती है ( कर्मवाच्य ) लडका चिट्ठी लिखेगा ( फत्त० ) लड़के द्वारा चिट्ठी लिखी जायगी । ( कर्म० ) । | ( क ) कोई-कोई लेखक भूल से कचवाच्य के कर्म को कर्मवाच्य में भी कर्मकारक में रखते हैं, जैसे, नौकर को बुलाया गया है लड़के को वहाँ भेजा जायगा । जड़ को काम में लाया जाता है । २०७- हिंदी में फर्मवाच्य बहुधा नीचे लिखे अर्थों में आता है-- (क) जज़ क्रिया का कप्त अज्ञात हो अथवा उसके प्रगट करने की आवश्यकता न हो; जैसे, चोर पकड़ा गया है। आज सब लोग बुलाए जाएँगे। (ख) गौरव जताने के लिये अधिकारियों और कचहरी की भाषा में