पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/१४३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
( १३३ )

________________

( १३३ ) दबी बिल्ली चूहो के कान काटती है। २२८ऊपर के वाक्यों में रेखांकित शब्द भूतकालिक कृदंत विशेषण के उदाहरण हैं। इसके साथ भी बहुधा हुआ जोडते हैं जो होगा क्रिया का भूतकालिक कृदंत विशेषण है। थे विशेषण भी विशेष्य के अनुसार अपना रूप बदलते हैं। भूतकालिक कृदंत विशेषग बनाने के नियम ये हैं( १ ) अकारांत धातु के अंत में ‘‘अ’’ जोड़ते हैं; जैसे, बोल-बोला पहचान----पहचाना डर-डरा । | मार-मारा। चमक--चमका खींच-खींचा (२) धातु के अंत में अ, आ, ई, ए वी ओ हो तो धातु के अंत में-य करके आ जोड़ते हैं; जैसे, लालाया खे-खेया . पी-पीया बो-बोया | जी-जीया | डुबो-डुबोया सू०–दोघं “ई” को ह्रस्व कर देते हैं । | ( ३ ) ऊकारांत धातु के ऊ” को ह्रस्व करके उसके पश्चात आ” जोड़ते हैं; जैसे, , चू-चुआ छु-छु । (४) नीचे लिखे भूतकालिक कृदंत विशेषण नियम विरुद्ध बने हैं, । होहु ( हुई ) । दे-दिया ( दी ) | कर किया ( की ) ले लिया १ ली ) जा-गया ( गई ) मर-मरा, मु (मरी, मुई } २२६-अकर्मक क्रिया से बना हुआ भूतकालिक कृदंत विशेषण फतृवाच्य और सकर्मक क्रिया से बना हुआ फर्मवाच्य होता है; जैसे, अकर्मक-आया हुआ माल, झड़े पसें, बढ़ी हुई घास । सकर्मक-बोया हुआ खेत; भेजे हुए कपड़े, तपाई हुई चांदी ।