पृष्ठ:संगीत-परिचय भाग १.djvu/५५

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जनगण-पथ परिचायक जय हे, भारत भाग्य विधाता !
जय हे ! जय हे ! जय हे ! जय जय जय जय हे !
घोर तिमिर घन निविड़ निशीथे पीड़ित मूर्छित देशे।
जाग्रत छिल तव अविचल मंगल नतनयने अनिमेशे।
दुःस्वप्ने आतंके रक्षा करिले अंके।
स्नेहमयी तुम माता।
जनगण दु:खत्रायक जय हे, भारत भाग्य विधाता !
जय हे ! जय हे ! जय हे ! जय जय जय जय हे !
रात्रि प्रभातिल उदिल रविच्छवि पूर्व उदयगिरि भाले !
गाहे विहंगम पुण्य समीरण तव जोवन रस ढाले !
तव करुणारुण रागे, निद्रित भारत जागे ।
तव चरणे नत माथा !
जय जय जय हे जय राजेश्वर, भारत भाग्य विधाता !
जय हे ! जय हे ! जय हे ! जय जय जय जय हे ।