पृष्ठ:संगीत-परिचय भाग १.djvu/६६

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भजन नं.४

तेरे पूजन को भगवान, बना मन मन्दिर आलीशान
किसने देखी तेरी माया
किसने भेद तेरा है पाया
हारे ऋषि -मुनि कर ध्यान ।। बना ...
यह संसार है तेरा मन्दिर
तू ही रमा है इसके अन्दर
करते ऋषि-मुनि सब गान ।। बना ...
तू हर गुल में,तू बुल-बुल में
तू हर शाख में हर पातन में
तू हर दिल में है भगवान ।। बना ...
तू ही बन में, तू ही मन में
तू ही रमा है इक कण-कण में
तेरा रूप अनूप महान ।। वना ...
तूने राजा रंक बनाये
तूने भिक्षुक राज बिठाये
तेरी लीला ईश महान !! बना ...