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राग आसावरी
- श्री गिरधर आगे नाचूंगी।
नाच नाच पिया रसिक रिझाऊं, प्रेमी जन को जाचूंगी।
प्रेम प्रीत के बाँध घुँघरू, सूरत की कछनी काछूंगी।
लोक लाज कुल की मर्यादा, या में एक न राखूंगी।
पिया के पलंगना जाय बैठूंगी, मीरा हरी रंग राचूंगी।