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पृष्ठ:संगीत-परिचय भाग २.djvu/५९

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1 पाठ १७ राष्ट्रीय गान जनगण-मन अधिनायक जय हे, भारत-भाग्य-विधाता ! पंजाब, सिन्धु, गुजरात, मराठा, द्राविड़, उत्कल, वंगा । विन्ध्य, हिमाचल, यमुना, गंगा, उच्छल जलधि-तरंगा। तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष मांगे। गावे तव जय-गाथा ! जनगण-मंगलदायक जय हे, भारत भाग्य विधाता ! जय हे ! जय हे ! जय हे ! जय जय जय जय हे ! अहहह तव अह्वान प्रचारित, सुनि तव उदार वाणी, हिन्दू-बौद्ध, सिम्य, जैन, पारलिक, मुसलमान, क्रिस्तानी, पूरब पच्छिम श्रासे, तव सिंहासन पासे प्रेमहार द्विय गाथा! जनगण ऐक्य विधायक जय हे, भारत-भाग्य-विधाता! जय हे ! जय हे ! जय हे ! जय जय जय जय हे ! पतन अभ्युदय वन्धुर पंथा युग-युग धावित यात्री, तुमि चिरसारथि तब रथ चक्र मुखरित पंथ दिन-रात्री, दारुण विप्लव मांझे, तंव शंखध्वनि वाजे, संकट-दुःख वाता! जनना पथ परिचायक जय हे, भारत-भाग्य-विधाता ! जय हे ! जय हे ! जय हे ! जय जय जय जय हे ! घोर तिमिर घन निविड़ निशीथे पीड़ित मूच्छित देये ! जाग्रत हिल तव अविचल मंगल नतनयने अनिमेशे, दुःखप्ने. श्रांतके रक्षा करिले अके, स्नेहमयी तुमि माता !