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पृष्ठ:संगीत-परिचय भाग २.djvu/६०

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( ६७. ) जनगण दुःखत्रायक जय हे, भारत भाग्य विधाता ! जय हे! जय हे ! लय हे ! जय जय जय जय हे ! रात्रि प्रभातिल उदिल रविच्छवि पूर्व उदयगिरि भाले : गाहे विहंगम पुण्य समीरण तव जीवन रस ढाले । तव मरुणारुण रोग, निद्रित भारत जाने! तव चरणों नत माथा! जय जय जय हे जय राजेश्वर, भारत-भाग्य-विधाता। जय हे ! जय हे ! जय हे ! जय जय जय हे ! ताल कहरवा स रे to + ग ग ग ग गगग गण मन अधिना + ग गरे ग य क ज य ज ग ग ग गरे -रे रे 1 Feste भा र त भा ग वि ता b प पप प प व सि ध गुज त म 7 रा हटा वड़ इन ग्य ल वं मा प - 31 7 गरे विन्द हि मन रेनी रन उच्छवल जल धित न म -.