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पृष्ठ:संगीत-परिचय भाग २.djvu/६५

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( ७४ ) अन्तरा म प - Spis मा या सं त्या स Sb Ml नी प । ह री र नी ला ग प गं a Al! सरें सनी स नी धु प ख मा मिथ्या Sitio 4 ST - स रे प प प नी od # bo 15 bro IT म स व सा शब्द गुरु ग्रंथ साहन राग भैरवी दरशन वेख जीवां गुर तेरा, पूरन करम होए प्रभ मेरा। ऐ चेनती सुनो प्रभ मरे, देह नाम कर अपने चेरे। अपनी सरन राख प्रभ दाते, गुर परसाद किने विरले जाते। मुनो विनो प्रभ मेरे मीता, चरण कमल वसो मेरे चीता। 'नानक एक कहे अरदास, विसर नाही पूरन गुन वास ।