पृष्ठ:संगीत-परिचय भाग २.djvu/६६

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(७५) राग भैरवी ताल दादरा स्थाई X O X O स धु प म मप मग वां गु रेम पधु पम ते दर शन वे ख जी T सर ग- स रे स मे भ - मप ग रे | सरे नी नी ग क र म हो । थे प्र अन्तरा स नीसं ध नी सं संग एह वि न ती. नो प्रभ स स म stvo हम, मे.

संगु रे स नी ध प th स alut मगु प म अपने ह, - ना म कर चे रा भजन १ हे प्रभु तेरी निराली शान है। आँख वालों को तेरी पहचान है ।। है नहो मन्दिर व मसजिद में रमां सब के हृदय में नही भगवान् है ॥ पत्ते पत्ते में रना है त प्रभु । देख सकता है जिसे कुछ ग्यान है... मुन को कनयां जान कर मत भूलनां. मैं हूँ दासी और तु भगवान है ।।.. .