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पृष्ठ:संगीत-परिचय भाग २.djvu/७०

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( ७६ ) अन्तरा .नी ध म जीवन में नी। सं क. बा सं भी ए सं नी सं घ नी नी नीनी जिस ने लगा ग न भजन ४ भगवान मोरी नैया उस पार लगा देना। अब तक तो निभाया है आगे भी निभा देना ॥ दल बल के साथ माया घेरे जो मुझे आ कर । तुम देखते न रहना झट आ के बचा लेना। सम्भव है झंझटों में मैं तुझ को भूल जाउँ । पर नाथ कहीं तुम भी मुझ को न भूला देना ॥ तुम देव में पूजारी तुम इष्ट मैं उपासक। यह बात सच है तो सच कर के दिखा देना ।। i