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- संगीत विशारद *
मकता है। वहा आपको कुछ मौलिक सुझाव भी मिल सकते हैं। लोकप्रियता एव कीर्ति का उपार्जन विना गोष्ठियों के नहीं हो सकता । कलाकार कला की माधना जन-समाज को नन सन्देश प्रदान करने के लिये करता है। अगर आप इन सागीतिक उत्सवों में शामिल नहीं होंगे तो अपने नर-सन्देश को जनता-जनार्दन तक कैसे पहुंचा सकते हैं और कैसे सामान्य लोग आपकी कला से लाभ उठा सकते हैं ? लोक-जीवन को सुन्दरतम बनाने में भी यह गोष्ठियाँ पूर्ण योग देती हैं। जहा ये कलाकारों को सफलता की देदीप्यमान मजिल की ओर प्रेरित करती हैं, वहा दूसरी ओर यह यह लोक जीवन में भी आशा और विश्वास का नवीन प्रकाश फैलाती हैं और उनके अन्धकार को नष्ट करने में भी पूर्ण योग देती हैं। सङ्गीत की अभिवृद्धि में गोष्ठियों का अपरमित मूल्य है, जिसका हम सहज में अकन नहीं कर सकते। अन्त में आपसे अनुरोध है कि सफल मगीतज्ञ बनने के लिये "पुस्तकालय और मगीत" का ध्यान रसिये और फिर गोष्ठियाँ और सङ्गीत को अनुपातिक ढग से अपनाने में सक्रिय कदम उठाइये। "पर-विज्ञान" का समझना भी अनिवार्य है, यह तीनों तथ्य सङ्गीतज के लिये महान पुष्टिकारी एव शक्तिशाली हैं तथा जीवन को प्रदीप्त करने वाले हैं।