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पृष्ठ:संगीत विशारद.djvu/१८

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भारतीय सङ्गीत का इतिहास सङ्गीत कला की उत्पत्ति कब और कैसे हुई ? इस विषय पर विद्वानों के विभिन्न मत हैं, जिनमें से कुछ का उल्लेख इस प्रकार है: (१) सङ्गीत की उत्पत्ति आरम्भ में वेदों के निर्माता ब्रह्माजी द्वारा हुई । ब्रह्माजी ने यह कला शिवजी को दी और शिव के द्वारा देवी सरस्वती को प्राप्त हुई। सरस्वती जी को इसीलिए "वीणा पुस्तक धारिणी” कहकर सङ्गीत और साहित्य की अधिष्ठात्री माना है। सरस्वती जी से सङ्गीतकला का ज्ञान नारद जी को प्राप्त हुआ, नारद जी ने स्वर्ग के गन्धर्व, किन्नर एवं अप्सराओं को सङ्गीत शिक्षा दी। वहां से ही भरत, नारद और हनुमान आदि ऋषि सङ्गीतकला में पारंगत होकर भू-लोक ( पृथ्वी) पर सङ्गीतकला के प्रचारार्थ अवतीर्ण हुए। (२) एक ग्रन्थकार के मतानुसार, नारद जी ने अनेक वर्षों तक योग साधना की तब महादेव जी ने उन पर प्रसन्न होकर सङ्गीत कला प्रदान की। पार्वतीजी की शयन-मुद्रा को देखकर शिवजी ने उनके अङ्ग-प्रत्यंगों के आधार पर रुद्र वीणा बनाई और अपने पांचों मुखों से, पांच रागों की उत्पत्ति की। तत्पश्चात् छटा राग पार्वती जी के श्री मुख से उत्पन्न हुआ । शिवजी के पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और आकाशोन्मुख से क्रमशः भैरव, हिंडोल, मेघ, दीपक और श्री राग प्रकट हुये तथा पार्वती द्वारा कौशिक राग की उत्पत्ति हुई । “शिवप्रदोष" स्तोत्र में लिखा है कि तीन जगत की जननी गौरी को स्वर्ण सिंहासन पर बैठाकर प्रदोष के समय शूलपाणी शिव ने नृत्य करने की इच्छा प्रकट की। इस अवसर पर सब देवता उन्हें घेर कर खड़े हो गये और उनकी स्तुति गान करने लगे। सरस्वती ने वीणा, इन्द्र ने वेणु तथा ब्रह्मा ने करताल बजाना आरम्भ किया, लक्ष्मी जी गाने लगी और विष्णु भगवान मृदङ्ग बजाने लगे। इस नृत्यमय सङ्गीतोत्सव को देखने के लिये, गन्धर्व, यक्ष • पतग, उरग, सिद्ध, साध्य, विद्याधर, देवता, अप्सरागण आदि सभी उपस्थित थे। ( ३ ) सङ्गीत दर्पण के लेखक दामोदर पण्डित के मतानुसार भी सङ्गीत की उत्पत्ति ब्रह्माजी से ही प्रारम्भ होती है। उन्होंने लिखा है: द्रुहिणेत यदन्विष्टं प्रयुक्तं भरते न च । महादेवस्य पुरतस्तन्मार्गाख्यं विमुक्तदम् ॥ अर्थात्-ब्रह्माजी ( दुहिण ) ने जिस सङ्गीत को शोधकर निकाला, भरतमुनि ने महादेव जी के सामने जिसका प्रयोग किया तथा जो मुक्तिदायक है वह मार्गी सङ्गीत कहलाता है। इस विवेचन से प्रथम मत का कुछ अंशों में समर्थन होता है। आगे चलकर इसी