पृष्ठ:संगीत विशारद.djvu/१९

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  • सङ्गीत विशारद *

- मोर से पडज, चातक मे रिपभ, ककरा से गाधार, कौवा से मध्यम, कोयल से पचम, मेंढक से धैवत और हाथी से निपाद स्वर मी उत्पत्ति हुई। (४) फारसी के एक विद्वान का मत है कि हजरत मूसा जव पहाडों पर घूम-घूमकर वहा की छटा देस रहे थे, उसी वक्त गैवसे एक आवाज आई (आकाशवाणी हुई )कि "या मुसा हक्कीकी तू अपना अमा (एक अस्र जो फकीरों के पास होता है) इस पत्थर पर मार " यह आवाज सुनकर हज़रत मूसा ने अपना असा जोर से उस पत्थर पर मारा तो पत्थर के ७ टुकडे होगये और हरएक टुकडे में से पानी की धारा अलग-अलग पहने लगी, उसी जल धारा की आवाज से अस्सलामालेक हज़रत मूमा ने मात सुरों की रचना की, जिन्हे सा रे ग म प ध नि कहते हैं। (५) एक अन्य फारसी विद्वान का कथन है कि पहाडों पर "मृसीकार" नाम का एक पक्षी होता है, जिमकी नाक मे ७ सरास वासुरी की भाति होते हैं, उन्हीं ७ सूरासो से ७ स्वर ईजाद हुए। (६) पाश्चात्य विद्वान फ्रायड के मतानुसार सङ्गीत की उत्पत्ति एक शिशु के समान मनोविज्ञान के आधार पर हुई, जिस प्रकार एक बालक रोना, चिल्लाना, हसना आदि क्रियाये मनोविज्ञान की आवश्यकतानुमार स्वय सीस जाता है उसी प्रकार सगीत का प्रादुर्भाव मानव में मनोविज्ञान के आधार पर स्वय हुआ। (७) जेम्स लोंग के मतानुयायियो का भी यही कहना है कि पहिले मनुष्य ने बोलना सीग्या, चलना फिरना सीसा और फिर शनै -शनै क्रियाशील हो जाने पर उसके अन्दर सङ्गीत स्वत उत्पन्न हुआ। इस प्रकार सङ्गीत की उत्पत्ति के विषय में विभिन्न मत पाये जाते हैं। इनमे कौनसा मत ठीक है, यह कहना कठिन ही है, अत सङ्गीतकला का जन्म कैसे हुआ, कब हुआ? इस पर अपना कोई निर्णय न देकर हम आगे बढना ही उचित समझते हैं - प्राचीन ग्रथों मे सगीत के चार मुख्य मत पाये जाते हैं (१) शिवमत या सोमेश्वर मत (0) कृष्णमत या कल्लिनाथ मत (३) भरत मत और (४) हनुमत मत । सङ्गीत के इतिहास का काल विभाजन भारतीय सङ्गीत के इतिहास को निम्नाकित ४ भागों मे विभक्त किया जा सकता है। (१) अति प्राचीन काल ( वैदिक काल) २००० ईमा पूर्व से १००० ईसा पूर्व तक। (२) प्राचीन काल-वैदिक सास्कृतिक परम्परा समाप्त हो जाने के बाद । १००० ईसापूर्व मे, सन् ८०० ई० तक । (३) मध्याल (मुसलिम काल )८०० ई० से १८०० ई० तक । .. (४) आधुनिक काल (अग्रेजी शासन काल ) १८०० ई० से १६५० ई० तक।