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पृष्ठ:संगीत विशारद.djvu/२०२

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  • सङ्गीत विशारद *

२१७ लिए स्वयं बना लेते हैं; किन्तु सभी के लिये, तो ऐसा करना सम्भव नहीं हो सकता, अतः ६ सूराख वाली बांसुरी बजाने की विधि दी जारही है। बांसुरी में सरगम निकालने की विधि सर्व प्रथम बांसुरी के सब सूराखों को इस प्रकार बन्द करिये कि बांये हाथ की पहली-दूसरी-तीसरी अँगुलियां ऊपर के ३ सूराखों पर जमाई जाय। फिर दाहिने हाथ की पहली-दूसरी-तीसरी अँगुलियों से नीचे के तीनों सूराख बन्दे किये जाँय । ध्यान रहे कि सूराखों को अँगुलियों की पोर से अच्छी तरह दबाना चाहिए । यदि बीच में कोई भी उंगुली सूराख से तनिक भी हट गई तो आवाज. फटी-फटी निकलेगी । पर। " 53 " सब सूराख उपरोक्त विधि से बन्द करने के बाद मुंह से हलकी फूंक लगाइये, इसमें सब सूराख बन्द होने पर जो स्वर निकलेगा, वह मन्द्र सप्तक का प होगा। बाकी स्वर एक-एक अंगुली क्रमानुसार उठाने पर इस प्रकार निकलेंगे:- प-सब सूराख बन्द करने पर । ध- नीचे का १ सूराख खोलने नि · नीचे के २ -नीचे के ३ रे-नीचे के ४ ग-नीचे के ५ म- -सब सूराख खोल देने पर | इस प्रकार ६ सूराखों से प ध नि सा रे ग म यह सात.स्वर निकले। इनमें मध्यम तीव्र है, बाकी स्वर शुद्धं हैं । म यमको शुद्ध बनाने के लिये ऊपर का सिर्फ सूराख दबाना पड़ता है तथा अन्य स्वरों को कोमल बनाने के लिए भी सूराखों का अर्ध प्रयोग किया जाता है। 9 . " " आधा इसके आगे के स्वर यानी मध्य सप्तक के प ध नि और तार सप्तक के स्वर निकालने के लिए क्रम बिलकुल यही रहता है, सिर्फ मुंह की फूक का वज़न बढ़ा दिया जाता है । उदाहरणार्थ -सब सूराख बन्द करने पर हलकी फूक से मन्द्र पंचम (प) निकला है तो फूक का वज़न दुगुना कर देने पर वही मध्य सप्तक का पंचम (प) बन जायगा। इसी प्रकार अन्य स्वर भी फूक के दबाब के आधार पर आगे की सप्तक के निकलेंगे। बांसुरी पर पहले यमन राग के स्वरों सा रे ग म प ध नि का ही अभ्यास करना चाहिए, क्योंकि यमन राग में मध्यम तीव्र और बाकी स्वर शुद्ध हैं और बांसुरी में भी पूरे सूराखों के खुलने पर यही स्वर आसानी से निकलते हैं। बाद में अभ्यास होजाने पर आधे-आधे सूराखों के प्रयोग से अन्य विकृत स्वर भी निकलने लगेंगे।