पृष्ठ:संगीत विशारद.djvu/२१५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

अकारादि क्रम से २०० रागों का का शास्त्रीय विवरण ! नोट (१) कोमल तीघ्र याले खाने में "दोनों" का अर्थ है, कोमल व तीत्र । जैसे नं० १ के राग मे कोमल तीव्र का साना देखिये, उसमे "गु ध व दोनों नि" लिखे हैं, इसका अर्थ है कि गध कोमल लगेंगे और निपाद कोमल व तीव्र दोनों प्रकार के लगेंगे। (२) वर्जित स्वर वाले खाने मे कोष्ठा () मे जो स्वर है, वे पूर्णतया वर्जित न होकर अल्प प्रमाण मे लगेंगे। नक म » " अहीर भैरव 19 . . ४ . ५ 11 पासा . . जाति वादी सवादी | कोमल-तीन । वर्जित स्पर थाट 'पारोह "अवरोह राग नाम गायन समय शारोह अवरोह श्रासावरी पाडव अडाणा पगध व दोनों नि ग सारेगप धनिसा सा धनिपमप गम रेसा | रात्रि तीसरा प्रत अल्हैया बिलावल बिलावल पाइव सपूर्ण | ध कहीं-कहीं नि सारंगप धनिसा सानिधप मगरेसा प्रातकाल २ ३ अरज भैरव सम्पूर्ण सा व मनि दोनों सारेग मपम्प धनिसा | सारसानि धपमग रेसा सारे नि सारे ग म प ध नि सा सा नि ध प म ग रेसा आभेरी आसावरी प्रोडर सपूर्ण म रेगध नि ध सा ग म प नि सा सा नि ध प म गरेमा ६ पिलावल गनि सारे मपघसा सा नि ध प म गरे सा रानि दूसरा प्रहर आसारी श्रासावरी गध नि गनि सारे म प ध सा सानिध प मगरे सा दिन इसरा प्रहर भैरव सम्पूर्ण मारे ग म प ध नि सा सा नि ध प म ग रेसा | प्रात कात आसावरी सागनि व दोनोंध (नि) सा रे ग म प ध सा सा नि ध प म गरे सा रानि तीसरा प्रहर काफी श्रीदव ग नि नि सा रे ग म ध सा साधम गरे सा प्रातकाल ११ आभोगीकान्हरा नि सा रे ग मध सा सा ध म गुमरे सा मध्यरात्रि १२ उत्तरी गुणकली | भैरवी सम्पूर्ण रेगध नि सा रे ग म प ध नि सा सा नि ध प गरे सा| प्रात काल १३ कलावती औदव सा (नि रेम सागएर निसप धसा सांनिधप गप धप गसा मध्यराति १४ कमलरजनी बिलावल | प्रौड़व पाडवध दोनों नि सा ग प ध नि सा सानिध निपमग सा प्रातकाल सम्पूर्ण सारे ग म प ध नि सा सा नि ध प म गरे सा 19 3 आनन् भैरव आनन्द मेरी १० आभोगी ६ q ० 73 खमाज प WA EEO सा ० o Y?