पृष्ठ:संगीत विशारद.djvu/२१४

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  • सङ्गीत विशारद *

२२६ इनायत खाँ इनायत खां का जन्म सन् १८६४ ई० में इटावा में हुआ । अपने समय में सुरबहार के आप एक प्रसिद्ध कलाकार होगये हैं। इनके बाबा साहेब दाद खां ध्रुपन, ख्याल और गज़ल शैली के विशेषज्ञ थे, साथ ही वे जलतरंग और सारङ्गी वादन में भी कुशल थे। इनायतखां के पिता इमदादखां हिन्दुस्तान के प्रसिद्ध सुरबहार और सितारवादक थे। जोड़ और गत तोड़ा शैली में वे अपनी सानी नहीं रखते थे। महाराजा नौगांव तथा महाराजा बनारस के यहां दरबारी गायक के रूप में रहने के पश्चात् कलकत्त में महाराजा सर यतीन्द्र मोहन टैगोर के यहाँ रहे। इसके बाद इमदाद खां ३००) मासिक वेतन पर अवध के नवाब वाजिद अली शाह के कोर्ट म्यूजिशियन नियुक्त हुए। फिर कुछ समय बड़ौदा दरबार में रहने के बाद अन्त में अपने दो पुत्रों के साथ इन्दौर दरबार में रहे । इनकी मृत्यु सन् १९२० ई० में ६२ वर्ष की आयु में होगई । आपने अपने पीछे २ पुत्र और ५ पुत्रियां छोड़ी। इमदाद खां के २ पुत्रों में इनायत खां छोटे और वहीद खां बड़े हैं। इनायत खां ने छोटी उम्र से ही ध्रुपद, ख्याल और ठुमरी आदि की तालीम अपने पिता से प्राप्त की थी, इसके पश्चात् आपने विभिन्न रागों के बारे में जानकारी हासिल की और अपने पिता से ही सुरबहार और सितार बजाना भी सीखते रहे। अपने सतत परिश्रम और अभ्यास के फलस्वरूप शीघ्र ही इनकी गणना अच्छे कलाकारों में होने लगी। काठियावाड़, मैसूर, बड़ौदा और इन्दौर में अपनी सङ्गीत सेवाऐं अर्पित करने के बाद कुछ समय तक गौरीपुर के ब्रजेन्द्रकिशोर राय चौधरी के यहां नौकरी में रहे । इसके पश्चात् इनायत खां ने विविध सङ्गीत सम्मेलनों में भाग लेकर अनेक स्वर्णपदक प्राप्त किये । इनके सितार वादन में जो मिठास था, वह सुनते ही बनता था । मैमनसिंह जिले के कई स्थानों में आपका शिष्य समुदाय फैला हुआ है । सन् १९३८ के लगभग आपका शरीरान्त होगया । इनके पुत्र विलायत खां आजकल एक सफल सितार वादक के रूप में गौरीपुर घराने का नाम ऊँचा कर रहे हैं। श्री भातखण्डे और विष्णु दिगम्बर पलुस्कर इनका संक्षिप्त परिचय इस पुस्तक में पृष्ठ २६ व ३० पर देखिये ।