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- सङ्गीत विशारद *
कृत ताल-स्वरो मे बाघकर गाते हैं । जयदेव कवि का जन्म बगाल में बोलपुर के निकटस्थ केन्डुला नामक स्थान में हुआ था, जहा पर अब भी प्रतिवर्ष सङ्गीत समारोह मनाया जाता है। गीत गोविन्द की विशेपता पर मुग्ध होकर सर एडविन आरनॉल्ड (Sir Edvin Arnald ) ने अंग्रेजी मे इमका अनुवाद "The Indian Song of Songs" अर्थात "भारतीय गीतों के गीत" इस नाम मे किया है। १३ वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में पण्डित शाह देव ने “सङ्गीत शाङ्गदेव i रत्नाकर" ग्रथ की रचना की। इसमें नाद, श्रुति, स्वर, ग्राम, मङ्गीतरत्नाकर । मृर्छना, जाति इत्यादि का विवेचन भली प्रकार किया गया है । HIM दक्षिणी और उत्तरी सङ्गीत विद्वान इस ग्रथ को सङ्गीत का आधार ग्रय मानते हैं। आधुनिक ग्रन्थों मे भी सङ्गीत रत्नाकर के अनेक उद्धरण पाठकों ने देसे होंगे। शङ्गदेव ने अपने इस पथ में मतग मे अधिक विवरण अवश्य दिया है, किन्तु सैद्धान्तिक दृष्टि से मत लगभग एक सा है। शाहदेव का समय १२१० से १०४७ ई० के मध्य का माना जाता है, यह देवगिरि (दौलतावाद ) के यादव वशीय राजा के दरवारी सङ्गीतज्ञ थे। इसके पश्चात (१३००-१८०० ई०) सङ्गीत का विकास काल माना जाता है। १३ वीं शतान्दी के समाप्त होते ही अर्थात १४ वीं शताब्दी के पूर्वार्ध मे दक्षिण पर यवनों के आक्रमण होने से देवगिरि यादर वश नष्ट हो गया । जिसके फलस्वरूप भारतीय सङ्गीत और सभ्यता पर भी यवनों का प्रभाव पडे विना नहीं रहा। इसी समय मुसलिमों द्वारा फारस के रागों का यागमन भारत में प्रारभ हो गया। दिल्ली का शासन सुलतान अलाउद्दीन खिलजी के हाथ में था, इसी समय (१६६-१३१६ ई०) मे सङ्गीतरला की विशेष उन्नति हुई। इमी समय के लगभग सिलजी के दरवार में हजरत अमीर अमीर खुसरो समरो नाम के एक प्रमिद्व और कुशल गायक राज मत्री ये, का समय इन्होंने अनेक नवीन राग, नवीन वाद्य और तालो की रचना की, इससे सङ्गीतकला विकास की ओर अग्रसर हुई। इनके विपय मे कहा जाता है कि अमीर यसरोही वह प्रथम तुर्फ ये जिन्होंने अपने देश के रागों को भारतीय सङ्गीत मे मिलाकर एक नगीनता पैदा की। कहा जाता है कि गोपाल नायर नामक प्रसिद्ध गायक भी, इसी दरबार मे आगया था और अमीर सुसरो से उसकी सङ्गीत प्रतियोगिता भी दिल्ली में हुई। अमीरगुसरो द्वारा आविष्कृत गीतो के प्रकार, ताल, तथा साजो का उल्ल स भी यहा पर सक्षिप्त रुप में कर देना अनुचित न होगा गीतों के प्रकार-गजल, कव्वाली, तराना, खमसा, रयाल । राग-जिल्फ, साजगिरी, सरपर्दा, यमन, रात की पूर्या, बरारी तोडी, पूर्वी इत्यादि । D + +++ E4