पृष्ठ:संगीत विशारद.djvu/२६

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  • सङ्गीत विशारद *

२५ M कबीर wwwwws सोलहवीं शताब्दी सङ्गीत और भक्ति काव्य के समन्वय की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण रही; क्योंकि इसी शताब्दी में सूरसागर के रचयिता है एवं गीति काव्य के प्रकाण्ड विद्वान महात्मा सूरदास, रामचरितमानस के तुलसी है यशस्वी लेखक गोस्वामी तुलसीदास, हिन्दू-मुसलिम एकता के प्रतीक .......... सन्त कबीरदास तथा सुप्रसिद्ध कवियित्री और भजन गायिका मीराबाई द्वारा भक्ति पूर्ण काव्य के प्रचार से सङ्गीतकला भगवद्माप्ति का साधन बनकर उच्चतम शिखर पर पहुंची। उपरोक्त चारों सन्तों के जीवनकाल वि० सम्वत् के हिसाब से इस प्रकार होते हैं:कबीरदास जन्म सम्वत् १४५६ मृत्यु १५७५ विक्रम सूरदास " " १५४० " १६२० " तुलसीदास " " १५५४ " १६८० " मीराबाई " " १५६० ". १६३० " ईसवी सन् की दृष्टि से उक्त चारों भक्तों का समय १४००-१६०० ई० के मध्य को माना जा सकता है । इनके भजन और पद अमर होगये हैं और आज भी भारत के घरघर में इनका प्रचार है। १५६६ ई० के लगभग, सङ्गीत के एक कर्नाटकी पंडित पुण्डरीक विठ्ठल पुण्डरीक विठ्ठल । द्वारा लिखे हुए सङ्गीत सम्बन्धी ४ ग्रंथ मिलते हैं ( १ ) सद्रागचन्द्रोदय के ग्रन्थ । (२) रागमाला (३) राग मंजरी (४) नर्तन निर्णय | यह पुस्तके ... बीकानेर लाइब्रेरी में सुरक्षित हैं। ___-जहांगीर का राज्य ( १७ वीं शताब्दी) १६०५ ई० से १६२७ ईसवी तक जहांगीर का राज्य रहा ! इनके सोमनाथं कृत राग विवोध । दरबार में बिलास खां, छत्तर खां, खुरमदाद, मक्खू , परवेज़दाद और हमजान प्रसिद्ध गवैये थे। इसी शासनकाल में दक्षिण भारत के राजमुन्द्री स्थान निवासी पंडित सोमनाथ ने सङ्गीत का ग्रंथ "राग विवोध" लिखा । इसका रचना काल ग्रंथकार ने स्वयं शाके १५३१ (अर्थात् १६१० ई०) आश्वनिशुद्ध तृतीया बताया है। इसमें उन्होंने अनेक वीणाओं का वर्णन किया है तथा रागों का जन्यजनक पद्धति से वर्गीकरण किया है। d जहांगीर के समय में ही हिन्दुस्थानी सङ्गीत पद्धति पर १६२५ पं० दामोदर कृत । । ई० में “सङ्गीत दर्पण" नामक ग्रन्थ का निर्माण पं० दामोदर ने । सङ्गीत दर्पण ... किया। इसमें सङ्गीत रत्नाकर के भी बहुत से श्लोक कुछ परिवर्तन के साथ मिलते हैं। राग-रागनियों के 'ध्यान' शीर्षक से जो देवरूप इसमें उपस्थित किये हैं वे अत्यन्त आकर्षक और मनोरंजक हैं। इसमें स्वराध्याय और रागाध्याय का विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है। सर विलियम जोन्स की पुस्तक "The musical modes of the Hindus' द्वारा यह भी पता चलता है कि सङ्गीत