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पृष्ठ:संगीत विशारद.djvu/६६

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  • सङ्गीत विशारद *

शुद्ध मध्यम वाले १६ मेल 4 १- सा रे ग म प ध नि सां ५- सा रे ग म प ध नि सां २- सा रे ग म प ध नि सां * ६- सा रे ग म प ध नि सां - सा रे ग म प ध नि सां ७- सा रे ग म प ध नि सां ४- सा रे ग म प ध नि सां ८-सा रे ग म प ध नि सां

  • :- सा रे ग म प ध नि सां १३- सा रे ग म प ध नि सां

१०- सा रे ग म प - ध नि सां १४- सा रे ग म प ध नि सां * ११- सा रे ग म प ध नि सां * १५- सा रे ग म प ध नि सां १२- सा रे ग म प ध नि सां | * १६- सा रे ग म प ध नि सां उपरोक्त १६ थाटों में शुद्ध मध्यम लगाया गया है, अब यदि हम शुद्ध की बजाय तीव्र मध्यम लगाकर बिलकुल इसी प्रकार से स्वर लिखें तो १६ मेल और बन जायेंगे। तीव्र मध्यम वाले १६ थाट ( मेल ) १- सा रे ग म प ध नि सां । ५- सा रे ग म प ध नि सां *२- सा रे ग म प ध नि सां *६- सा रे ग म प ध नि सां ३- सा रे ग म प ध नि सां७- सा रे ग म प ध नि सां ४- सा रे ग म प ध नि सां - सा रे ग म प ध नि सां ६- सा रे ग म प ध नि सां । १३- सा रे ग म प ध नि सां १०- सा रे ग म प ध नि सां | १४- सा रे ग म प ध नि सां ११- सा रे ग म प ध नि सां१५- सा रे ग म प ध नि सां १२- सा रे ग म प ध नि सां *१६- सा रे ग म प ध नि सां 솨 봐와 । ___ इस प्रकार १६ मेल शुद्ध मध्यम वाले और १६ मेल तीव्र मध्यम वाले मिलकर १६+ १६=३२ मेल हमारी पद्धति से बन सकते हैं और इनमें सिलसिले बार स्वरों में से कोई स्वर भी नहीं छूटा तथा एक स्वर के दो रूप पास-पास भी नहीं आये।

  • उपरोक्त ३२ मेलों में फूल के निशान वाले हमारे प्रचलित १० थाट भी मौजद हैं। देखिये: