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ले जा रही है। सबलसिहसे मुठभेड़)
सबल--आज तीन दिनसे मेरे चन्द्रमा बहुत बलवान हैं। रोज एक बार तुम्हारे दर्शन हो जाते हैं। मगर आज मैं केवल देवीके दर्शनोंहीसे संतुष्ट न हूँगा। कुछ वरदान भी लूंगा।
सिर झुकाकर खड़ी हो जाती है।)
सबल--देवी, अपने उपासकोंसे यों नहीं लजाया करतीं। उन्हें धीरज देती हैं, उनकी दुःख कथा सुनती हैं, उनपर दयाकी दृष्टि फेरती हैं। राजेश्वरी, मैं भगवानको साक्षी देकर कहता हूँ कि मुझे तुमसे जितनी श्रद्धा और प्रेम है उतना किसी उपासक- को अपनी इष्ट देवीसे भी न होगा। मैंने जिस दिनसे तुम्हें देखा है उसी दिनसे अपने हृदय-मन्दिरमें तुम्हारी पूजा करने लगा हूं। क्या मुझपर जरा भी दया न करोगी?