पृष्ठ:संत काव्य.pdf/५४३

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५३० संतकाय (२१) पिय को खोजन में चली आधुझ गई हिराय है? आपुइ गई हिराय कबन अब कहे संदेसा । जकर पिथमें ध्यान भई वह पिया के नेता है प्राणि मांहि जो पर सोऊ अनी है जावे। मृढ़ी कीट को मैं टि अणु बम लेइ बनावें । सरिता बह के गई fसंधु में रही समाई। सिब सक्ती को मिले नहीं फिर सकती आई । . पलटू दीवाल कहकला संत कोड झांकन जाय । पियको खोजन में चली आह गई हिराय ।।२१। दीवाल कहकहाe= चीन देश की कहकहा नामक दीवार जिसके विषय में प्रसिद्ध है कि उस पर चढ़ कर दूसरी ओर झांकने से परियां दीख पड़ती हैं और इतना हर्ष होता है कि हंसी कके मारे विवश हो सनुष्य उधर कूद कर लापता हो जाता है । (२२) सूरत सब्द के मिलन में मुझको भया अनंद । मुझको भेजा अनंद मिला पानी में पानी। दोठक से भरा सूत नहीं मिलि अलगानी ॥ मुलु क भया सलतन्त मिला हाकिम को राजा। रैयत करें आराम खोल के दस बरवार । यूडी सकल वियाधि मिटी इंजिन की दुतिया। को अब कर उपाधि घर से सिंलि गई कुतिया ॥ पलटू सतगुरु साहिब काटघो मेरा बंद। सुरत सब्द के मिलन में मुझको भया ननंद ।२२ ॥ दोऊ . . . सत= दोनों मिल कर एक हो गए। सलसन्त--शांत। बस दरबाज=द शम द्वार जो सबसे अंतिम है । दुनिया=दूधक्ति।