पृष्ठ:सचित्र महाभारत.djvu/१२

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पृष्ठ संख्या दुर्योधन और चित्रसेन का युद्ध-गन्धर्व के द्वारा दुर्योधन का पकड़ा जाना-युधिष्ठिर की आज्ञा से भीम और अर्जुन का जाना और दुर्योधन को छुड़ाना--- दुर्योधन का परिताप और बिना अन्न-जल ग्रहण किये पड़ा रहना - दुर्योधन का हस्तिनापुर को लौट आना-भीष्म का तिरस्कार--कणे का दिग्विजय - दुर्योधन का यज्ञ-अर्जुन को मारने के लिए कर्ण का व्रत-युधिष्ठिर की चिन्ता ---- इन्द्र के द्वारा कर्ण का ठगा जाना- करणे का अपने कवच कुण्डल देना और अमोघ शक्ति प्राप्त करना। १०-वनवास के बाद अज्ञात वास का उद्योग काम्यक-वन में जयद्रथ का आगमन-जयद्रथ की बुरी कामना-जयद्रथ और द्रौपदी का संवाद-जयद्रथ के द्वारा द्रौपदी का हरण---जयद्रथ पर पाण्डवों का आक्रमण-जयद्रथ की संना का नाश-जयद्रथ का भागना-भीम के द्वारा जयद्रथ का अपमान जयद्रथ का छटना, तपस्या करना और पाण्डवों को जीवन के विषय में वर पाना-अज्ञात वाम की तैयारी- पाण्डवों का कपट-वेश-धारा-पुरोहित धौम्य का उपदेश शमी-वृक्ष पर अस्त्र आदि रखना-- पाण्डवों का गजा विराट के नगर में प्रवेश । ११-अज्ञात वास सभासद के वेश में युधिष्ठिर रसाइये के वेश में भीम--- मैरिन्ध्री में रूप में द्रौपदी-- गोप-वेश में सहदेव - नपुंसक के रूप में अर्जुन--अश्वपाल के वेश में नकुल-पाण्डवों का स्वच्छन्दतापूर्वक अज्ञान वाम-पहलवान के रूप में भीम -कीचक और द्रौपदी-कीचक के घर में द्रौपदी का भेजा जाना - कीचक के हाथ से द्रौपदी का अपमान-- युधिष्ठिर का भीम का मना करना--द्रौपदी का क्रोध-भीम के सामने द्रौपदी का विलाप-भीम का उत्तेजित होना और बदला लेने के लिए प्रगण करना - कीचक का वध उपकीचकों के कारण द्रौपदी पर आई हुई विपद -भीम के द्वारा द्रौपदी का उदार-अज्ञान वाम का अन्त । १२-पाण्डवों के अज्ञात वास की समाप्ति पाण्डवों का हूँढ़ने के लिए दुर्योधन का व्यर्थ यत्र-कौरवों की सलाह-गजा विगट की गायें हर ले जाने का विचार --त्रिगर्तराज का विराट-नगर पर आक्रमण-त्रिगञ्जराज की हार - कौरवों का विराट नगर पर आक्रमण-राजकुमार उत्तर का गर्जन-तर्जन - अर्जुन का उत्तर के ग्थ पर सारथि का काम करना -- उत्तर का डर जाना --युद्ध के लिए अर्जुन का सङ्कल्प-शमी वृक्ष से अस्त्र-शस्त्र लाना-अर्जुन का कुमार उत्तर को अपना परिचय देना-कर्ण और दुर्योधन के साथ होगा आदि की बातचीत-भीष्म का उपदेश-अर्जुन का आगमन और युद्ध का आरम्भ-कर्ण और अर्जुन-अर्जुन और द्रोण-अर्जुन और अश्वत्थामा-फिर कर्ण और अर्जुन-अर्जुन के हाथ से छः महारथियों की हार-गायों का छुड़ा लिया जाना-विराट-नगर में जीत का समाचार-विराट-नरेश के द्वारा किया गया युधिष्ठिर का अपमान-अर्जुन और उत्तर का लौट आना-प्रकट होने के विषय में पाण्डवों की आपस में बातचीत ।