पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/५४३

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के प्रभारी माना गया नयादशखमुला: । ५४१ के . V , | बेदी की आग भर के उसे पृथ्वी पर डाला और शब्द और गर्धन और बिजलियां श्र भूइंडोल हुए 11 या ० न० प० ८ 1 आा ३। % । ५ ॥ समक्षक-अष देखिये स्वर्ग तक वेद धूप दीप नैवेद्य सुरही के शब्द होते हैं । क्या वैरागियों के मंदिर से ईसाइयों का स्वर्ग कम है ? कुछ धूम धाम अधिक ही है 1 १०६ १०७-पहिले दूत ने तुरही ब्रुकी और लोहू से मिलेहुए ओले और अग हुए और वे पृथिवी पर डाले गये और पृथिवी की एक तिहाई जलई । यो० प्र२ प० ८ई आ० ७ है। समीक्षक-वाहरे ईसाइयों के भविष्यढाका ! ईश्वर, ईश्वर के दूत बुरही का शब्द और प्रलय की लीला केवल लड़कों ही का खेल दीखता है ॥ १०७ ॥ १०८आर पांचवें दूत ने तुरही ब्रुकी और मैंने एक तारे को देखा जो स्वर्ग में से पृथिवी पर गिरा हुआ था और अथाह कुण्ड के कूप की कुख्जी उचकों दीगई और उसने अथाह कुण्ड का कूप खोला और कूप में से बड़ी भट्टी के धुएं की नाई धूआं उठा और उस धुएं में से टिडियां पृथिवी पर निकल गई और जैसा पृथिवी के वों को अधिकार होता है जैसा उन्हें अधिकार दिया गया और उनसे कहा गया कि उन मनुष्यों को जिनके माथे पर ईश्वर की छाप नहीं है पांच मास उन्हें पीड़ा दीजाय } य० न० प० । आ९ १ । २ । ३ ) ४ । ५ ॥ समीक्षक-क्या तुरही का शब्द सुनकर तारे उन्हीं दूतों पर और उसी स्वर्ग में गिरे होंगे ! यहां तो नहीं गिरे भला झं कूप वा टिड्डियां भी प्रलय के लिये इंश्वर ने पाली होंगी और छाप को देख बांच भी लेती होंगी कि छापवालों को मत काटो ? यह केवल भोले सकुड़यों को डरपा ईसाई बनालेने का धोखा देना है कि जो तुम ईसाई न होगे तो तुम को टिट्टियां काटटगरी, ऐसी बातें विद्याहीम देश में चल सकती हैं आथ्यवर्दी में नहीं क्या वह प्रलय की बात हो सकती है ? ॥ १०८ ॥ १०७८र घुड़चढ़ की सेनाओं की संख्या बीस करोड़ थी ।॥ यो० न प० ९ के आ० १६ ॥ समीक्षक-भला इवने घोड़े वर्ग में कहां ठहरने की चरते और कह रहखे औौर जितनी लीद करते थे १ और उसका दुर्गन्ध भी स्वर्ग में कितना हुआ होगा ? यस . भ