पंडिताइन - ‘इन सबों को घिन भी नहीं लगती।'
पंडित - 'भ्रष्ट हैं सब।'
रात तो किसी तरह कटी। मगर सबेरे भी कोई चमार न
सद्गति/मुंशी प्रेमचन्द23