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सप्तसरोज
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बेनीमाधव सिंह गौरीपुर गांवके जमींदार और नम्बरदार थे। उनके पितामह किसी समय बड़े धन्यधान्य सम्पन्न थे। गांव का पक्का तालाब और मन्दिर, जिनकी अब मरम्मत भी मुश्किल थी, उन्हींके कीर्त्तिस्तम्भ थे। कहते हैं, इस दरवाजेपर हाथी झूमता था, अब उसकी जगह एक बूढ़ी भैंस थी, जिसके शरीरपे पंजरके सिवा और कुछ शेष न रहा था। पर दूध शायद बहुत देती थी, क्योंकि एक-न-एक आदमी हांडी लिये उसके सिरपर सवार ही रहता था। बेनीमाधव सिंह अपनी आधीसे अधिक सम्पत्ति वकीलोंकी भेंट कर चुके थे। उनकी वर्तमान आय वार्षिक एक हजारसे अधिक न थी। ठाकुर साहबके दो बेटे थे। बड़ेका नाम श्रीकण्ठ सिंह था। उन्होंने बहुत दिनोंतक परिश्रम और उद्योग के बाद बी॰ ए॰ की डिग्री प्राप्त की थी। अब एक दफ्तरमें नौकर थे। छोटा लड़का लालबिहारीसिंह दोहरे बदनका सजीला जवान