सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:समर यात्रा.djvu/८१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
जुलूस
[ ८१
 

वीरबल -- यहांँ खड़े होने का भी हुक्म नहीं है। तुमको वापस जाना पड़ेगा।

इब्राहिम ने गंभीर भाव से कहा-वापस तो हम न जायँगे। आपको या किसी को भी, हमें रोकने का कोई हक नहीं है। आप अपने सवारों, संगीनों और बन्दूकों के ज़ोर से हमें रोकना चाहते हैं,रोक लीजिए;मगर आप हमें लौटा नहीं सकते। न जाने वह दिन कब आयेगा,जब हमारे भाई-बन्दः ऐसे हक्मों की तामील करने से साफ इन्कार कर देगें,जिनकी मंशा महज कौम को गुलामी की ज़ंजीरों में जकड़े रखना है।

बीरबल ग्रेजुएट था। उसका बाप सुपरिंटेडेण्ट पुलीस था। उसकी नस-नस में रोब भरा हुआ था। अफसरों की दृष्टि में उसका बड़ा सम्मान था। ख़ासा गोरा चिट्टा,नीली आँखों और भरे बालोंवाला तेजस्वी पुरुष था। शायद जिस वक्त वह कोट पहनकर ऊपर से हैट लगा लेता तो वह भूल जाता था कि मैं भी यहीं का रहनेवाला हूँ। शायद वह अपने को राज्य करनेवाली जाति का अंग समझने लगता था ; मगर इब्राहिम के शब्दों में जो तिरस्कार भरा हुआ था, उसने जरा देर के लिए उसे लजित कर दिया;पर मुअमला ना जुक था। जुलूस को रास्ता दे देता है,तो जवाब तलब हो जायगा ; वहीं खड़ा रहने देता है,तो यह सब न-जाने कब तक खड़े रहे ; इस संकट में पड़ा हुआ था कि उसने डी० एस० पी० को घोड़े पर आते देखा। अब सोच-विचार का समय न था। यही मौका था कारगुज़ारी दिखाने का। उसने कमर से बेटन निकल लिया और घोड़े को एड़ लगाकर जुलूस पर चढ़ाने लगा। उसे देखते ही और सवारों ने भी घोड़ों को जुलस पर चढ़ाना शुरू कर दिया। इब्राहिम दारोगा के घोड़े के सामने खड़ा था। उसके सिर पर एक बेटन ऐसे ज़ोर से पड़ा कि उसकी आँखें तिलमिला गई। खड़ा न रह सका। सिर पकड़कर बैठ गया। उसी वक्त दारोगाजी के घोड़े ने दोनों पांँव उठाये और जमीन पर बैठा हुआ इब्राहिम उसके टापों के नीचे आ गया। जुलूस अभी तक शान्त खड़ा था। इब्राहिम को गिरते देखकर कई आदमी उसे उठाने के लिए लपके;मगर कोई आगे न बढ़ सका। उधर सवारों के डंडे बड़ी निर्दयता से पड़ रहे थे। लोग हाथों पर