पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/१०८

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वं इस प्रकार की अनर्गल बातें करते रहते हैं जिनका कोई नितान्त नासमझ ही सोच सकता है। मैं इस प्रकार के अन्य आक्षेपों पर विचार नहीं करूंगा क्योंकि वे इतने हास्यास्पद हैं कि उन पर ध्यान देना आवश्यक नहीं। इस एक उदाहरण को सामने रखने में मेरा उद्देश्य केवल यह दिखाना था कि हमारे बालोचक किस उपहासपूर्ण हद तक जा सकते हैं। काँग्रेसियों का आक्षेप दक्षिणपक्षियों की ओर से आने वाले श्राक्षेप प्रायः दो प्रकार के हैं । एक प्राक्षेप तो यह है कि कांग्रेस के समाजवादी पहिले अन्तर्राष्ट्रीय हैं और पीछे राष्ट्रीय । स्वतंत्रता संग्राम में उनके ऊपर पूरा भरोसा नहीं किया जा सकता । कहा जाता है कि हम समाजवाद के लिए अपने देश की स्वतंत्रता का बलिदान भी कर सकते हैं । मै इस संशय का निवारण ज़ोर से कहकर एक दम कर दूं कि समाजवाद और स्वतंत्रता में कोई विरोध नहीं है । सत्य यह है कि समाजवाद की स्थापना सत्ता प्राप्ति के बिना नहीं हो सका और भारत की वर्तमान स्थिति में सामाज्यवाद-विरोधी संघर्ष समाजवाद की ही भूमिका है। हमारे भीतर राष्ट्रीय भावना और आत्मसम्मान की भी कमी नहीं है । हाँ हम देशाभिमान में चूर होना पसन्द नहीं करते और संच का ध्यान न रखकर सदैव देश का पक्ष लेने में भी विश्वास नहीं करते न हम अन्य राष्ट्रों को उनकी पैंत्रिक निधि से वंचित करना चाहते हैं । बल्कि हम तो उनका सहयोग प्राप्त करके एक ऐसे विश्व- समाज की रचना करना चाहते हैं जिसमें मनुष्य स्वाधीन रूप से सम्मिलित हों और जो शोषण और उत्पीडन से रहित हो। सम्भवतः कुछ क्षेत्रों में यह सन्देह होने लगे कि मैं समाजवादी