पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/११६

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(ec) अाधार पर संगटित न किया जाय. और उनके आर्थिक संघर्ष को पूर्ण स्वतन्त्रता के अांदोलन के साथ न जोड़ दिया जाय । यदि हम स्वतन्त्रता के सच्चे अभिलाषी है, और यदि हम सच- भुच यह विश्वास करते हैं कि हमारा स्वराज्य जनता का राज्य होगा तो फिर कांग्रेस को हमारे मामाज्यवाद-विरोधी कार्यक्रय को अपनाने में कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए । इस बारे में यह बता देना उचित होगा कि हमारे जिन प्रस्तावों पर कांग्रेस में विचार-विमर्श हुआ है, वे समाजबादी ढंग के नहीं हैं। क्या मै पूछ सकता हूँ कि युद्ध-विरोधी प्रस्ताव को और धारासभायां में घुसने और पार्लियामेंन्टीय कार्य करने विषयक प्रस्तावों को क्या किसी भी प्रकार समाजवादी कहा जा सकता है ? केवल समाजवादियां द्वारा पेश किये जाने से ही वे वैसे नहीं बन जाते। एक तथाकथित समाजवादी प्रस्ताव में भी समाजवाद की चर्चा न होकर केवल यह बताया गया था कि जनता के लिए स्वराज्य का क्या अर्थ होगा। इस विषय पर बोलते हुए मेरा विचार कुछ शब्द उस मुलाकात के सम्बन्ध में कहने का है जो अभी हाल में बम्बई में कांग्रेस के प्रधान महोदय से हुई थी। मैं यह जानकर व्यथित हूँ कि हमारे प्रधान की धारणा है कि हम लोग अपने आचरण से जनता की दृष्टि में कांग्रेस की प्रतिया को नीचे गिरा रहे हैं । मुझे खेद के साथ कहना पड़ता है कि हमारे प्रधान ने बिना सोचे समझे हमारे साथ घोर अन्याय किया है। हमने अनेक बार अपने मंच पर से और कांग्रेस के मंच पर से कहा है और अब भी मैं कहता हूँ कि हम कांग्रेस की प्रतिष्ठा को बढ़ाना चाहते हैं और हम उसे एक शक्तिशाली संस्था बनाने और सामाज्य- वाद विरोधी संघर्ष के संचालन के योग्य बनाने का भरसक प्रयत्न