पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/११७

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करेंगे। कट्टरपंथियों से भिन्न विचारों की अभिव्यक्ति और कांग्रेस की वर्तमान नीति की आलोचना ऐसी बाते नहीं हैं जिनको कांग्रेस की प्रतिठा को कम करने का प्रयास कहा जा सके। हम तो अपने को कांग्रेस के सम्मान के प्रहरी समझते हैं और इसी कारण से हम चाहते हैं कि कांग्रेस उस मार्ग पर दृढ़ता से चलती रहे जो उसने सन १६२६ के महत्वपूर्ण लाहौर अधिवेशन में अपने लिए बनाया था और संघर्ष के ठीक तरीके निकाले जिससे शीघ्र सफलता मिले। हम ममझते हैं कि जो प्रतिक्रियावादी प्रवृत्तियाँ हाल ही में कांग्रेस में दिखाई पड़ी हैं उन्हे रोकने का प्रयत्न करना हमारा अधिकार है और हम अाशा करते हैं कि हमारे प्रधान हमसे उस महत्वपूर्ण अल्पसंख्यक अधिकार को छीनना नहीं चाहते जिसके द्वारा अपने विचारों का प्रचार करके अल्पसंख्यक लोग बहुसंख्यक बन जाते हैं। मुझे आशा है कि कांग्रेसियों के मुख्य मुख्य श्राक्षेपों का समाधान मैंने कर दिया है । अत्र मैं अतिवामपक्षियों के जो आक्षेप मेरे सामने आये हैं उनका उत्तर देने का प्रयत्न करूँगा। अतिवामपक्षियों के आक्षेपों का उत्तर एक ऐसे प्रतिपक्षी मे नर्क करना अत्यन्त कठिन है जो किन्ही कारणों से जिनका वहीं जानता ही अापके विरुद्ध छलपूर्ण प्रचार तो करता रहे परन्तु कभी भी अपने आक्षेपों को लेकर सामने न आवे । एक युक्ति अतिवामपक्षी प्रकार की अवश्य पत्रों में छपी है । जो ध्यान देने योग्य है। उसका मार यह है कि क्योंकि समाजवाद श्रमिक-वर्ग की चीज है इसलिए श्रमिकों की पार्टी ही उसकी स्थापना कर सकती है और इसके लिए श्रमिकों को एक स्वतंत्र वर्ग शक्ति के रूप में कार्य करना पड़ेगा और एक स्वतंत्र राजनैतिक