पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/१२२

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(६५) इस आवश्यक कार्य को पूरा नहीं कर सकती और मैं समझता हूँ कि हमारा पिछले बारह महीनों का अनुभव इस बात का साक्षी है कि जो मार्ग हमने पकड़ा है बह ठीक है अब सवाल रह जाता है उस नीति पर पुनर्विचार करने का जो अब तक कांग्रेस के भीतर अपनाई है। मै पहिले ही कह चुका हूँ कि उसमें एक तनिक से परन्तु महत्वपूर्ण परिवर्तन की आवश्यकता है और मैंने उस दिशा की ओर भी सकेत किया है जिसमे वह परिवर्तन किया जाना चाहिए । मुझे पता है कि पार्टी का ध्यान उस ओर जा चुका है और मैं आशा करता हूँ कि यदि पार्टी को यह विश्वान हो गया कि परिस्थितियाँ उसकी नीति में परिवर्तन चाहती है तो वह अवश्य उस दिशा में आवश्यक कदम उठायेगी। नये विधान की असलियत यह नितान्त आवश्यक है कि हम नये विधान-एक्ट के असली उद्देश्य को पूरी तरह समझ ले । हमें यह जानने की कोशिश करनी चाहिये कि ब्रिटिश साम्राज्यवादी इस सुधार को लादने के लिए क्यो इतने उत्सुक हैं यद्यपि देश के सभी राजनैतिक दलों ने उसकी निन्दा की है। इसके भीतर रहस्य यह है कि जन-समुदाय के बढ़ते हुए विद्रोह और राष्ट्रीय संघर्षा की उटती हुई लहर को रोकने के लिए सामाज्यवाद के लिए यह श्रावश्यक हो गया है कि वह अपने पुराने मित्रों से सम्बन्ध दृढ़ करे और नये मित्र देश में हूँ दे जिससे अपना सामाजिक अाधार विस्तृत करके वह अपने विरोधियों से अच्छी प्रकार लोहा ले सके | नये विधान की रचना सामाज्यवाद और देश की प्रतिक्रियावादी शक्तियों का सयुक्त मोर्चा बनाने के लिए ही हुई है 1 यही कारण है कि भारतीय रियासतों और प्रान्तों का एक संयुक्त- राज्य बनाने पर इतना जोर दिया गया है। ऐसे अखिल भारतीय