पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/१२६

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(EE) हो रहे है। निम्नमध्यवर्ग भी दिनोंदिन गरीव होता जा रहा है । पढ़े लिखे मध्यवर्गीय नवयुवकों को काम नहीं मिलता और प्रतिदिन ऐसे अनेक भलेचंग नौजवानों के आत्मघान की खबरें आती हैं जो ईमानदारी से काम करके अपना पेट नहीं भर पाते । इस मानव जीवन की भारी बरबादी को रोकने के लिए इस व्यापक दुख को कम करने के लिए कुछ नहीं किया जाना और यदि जनता के प्रतिनिधि गरीबी की समस्या को हल करना चाहें तो उन्हें वैयक्तिक सम्पत्ति के पावन नाम में ऐसा नहीं करने दिया जाता। विधान में जनता की स्वतंत्रता को दबाने की भी व्यवस्था की गई है । यद्यपि प्रान्तों में शान्ति और सुव्यवस्था का कार्य लोकप्रिय मत्रियों के ही हाथ में रहेगा परन्तु पुलिस के अान्तरिक गठन और अनुशासन के बहुत से अधिकार इन्सपेक्टर जनरल के हाथों में मुरक्षित रखे जायेंगे। पुलिस के कायदे कानून बिना गधर्नर की सहमति के संशोधित नहीं किये जा सकेंगे। यह भी प्रवन्ध किया गया है कि अातंक-कार्यों के सूचक विवरण-पत्र केवल इन्सपेक्टर जनरल द्वारा निर्दिष्ट पुलिस अफसरों अथवा गवर्नर द्वारा निर्दिष्ट अन्य अफसरों को दिखाये जायें। इस प्रकार भारतीय मंत्रियों को यह भी पता नहीं लग सकेगा कि जिस सूचना के आधार पर कोई अभियोग चलाया गया है वह सच भी है अथवा नहीं । और चूँ कि उच्चपदस्थ पुलिस कर्मचारी भारत-मंत्री द्वारा नियुक्त किये जाते रहेंगे और चूँ कि गवर्नर पर पुलिस को राजनीतिक प्रभाव से दूर रखने और उसके हितों को सुरक्षित रखने का विशेष दायित्व होगा अतः भारतीय मंत्रियों के लिए ऊँचे पुलिस अफसरों और परिणामतः पुलिस पर नियन्त्रण रखना सम्भव न होगा। पिछले कार्यों के लिए भी पुलिस वालों को अभयदान दे दिया गया है और अपने कर्तव्य