पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/१२७

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(ico) पालन की आड़ में वे चाहे कुछ भी करें उनके विरुद्ध कोई दीवानी या फौजदारी मामला नहीं चलाया जा सकता। अतः पुलिस का वर्तमान जुल्म भारतीय मंत्रियों के होते हुए भी जैसे का तैसा चलता रहेगा। प्रान्तीय सविसे ताज की समझी जायेगी और गवर्नर उनका प्रमुख माना जायगा। उनके हितों की पूरी रक्षा की जायगी और गवर्नर पर यह विरोष दायित्व होगा कि वह उनके विशेषाधिकारों पर कोई प्रॉन न आने दे । इन पदों पर नियुक्तियाँ गवर्नर के नाम में होगा और विना गवर्नर की आज्ञा के किसी को पदच्युत नहीं किया जा सकेगा। जो नियुक्तियाँ भारत-मंत्री द्वारा की जायेंगी उनमें वह उन अफसरों की नौकरी की शता पर नियन्त्रण रखेगा। सक्षेप में अधिकागे वर्ग पर मंत्रियों का अनुशासन नाम मात्र को ही होगा। प्रान्न की शक्ति और सुरक्षा पर संकट पाने की अवस्था में गवर्नर का विशेष दायित्व होगा और अपने इस दायित्व को सुचारु रूप से निभाने के लिए उस विस्तृत अधिकार होंगे। अपने विशेष उत्तरदायित्व को पूरा करने के लिए गवर्नर को अपने मंत्रियों की बात को टालने का अधिकार ही न होगा वरन् जिस कार्य के लिए धारासमाई पूर्वादेश अथवा द्रव्य की आवश्यकता हो उसे भी कर डालने के उसे विशेष अधिकार होंगे। वह कोई भी प्राज्ञा दे सकता है और यदि कोई मंत्री उसके द्वारा बताये हुए दंग से कार्य न करे तो वह उसे पदच्युत भी कर सकता है। ऐसे अवसर पर गवर्नर विधान को रद भी कर सकता है और जो अधिकार वह आवश्यक समझे उन्हें अपने हाथ में ले सकता है । अातंकवादियों का मुकाबिला करने के लिए भी उसे विशेष अविकार दिये गये हैं और उनकी हरकतों को रोकने के लिए वह श्रावश्यकता पड़ने पर गवर्नमेन्ट के