पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/१३३

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( १०६ ) किसी भी दशा में ब्रिटिश पालियामेंन्ट द्वारा थोपे हुए. विधान को कार्यान्वित करने का भार अपने ऊपर नहीं लेना चाहिये। फिर कांग्रेस ने तो ब्रिटिश पार्लियामेंन्ट के भारतीय विधान निर्माण करने के अधिकार को चुनौती भी दी है । में यह भी है कि मत्रिपदों को स्वीकार करने से लोगों के मन में यह भूम जम जायगा कि नये विधान में कुछ ठोस अच्छाइयाँ हैं ! चाहे व पद विधान को कार्यान्वित करने के लिए अथवा उसे छिन्न भिन्न करने के लिए ग्रहण किये गये हों । इस प्रकार अनजाने ही मम्पूर्ण राष्ट्र की मनोवृत्ति बदल कर वैधानिक संघर्षा के पक्ष में हो जायगी। उपसंहार माथियो, भारत के हाथों में पूर्व के बहुत से देशों की स्वतन्त्रता की कुंजी है। भारत में ब्रिटेन के जो साम्नाज्यवादी हित फंसे हुए हैं उनके कारण लाल समुद्र और फारम की खाड़ी के बीच का सभी भूभाग ब्रिटेन के लिए महत्वपूर्ण है । यदि मिश्र पूर्णतः स्वाधीन नहीं है और स्वेज नहर पर ब्रिटिश सैनिकों का संरक्षण है तो इसका कारण यह है कि स्वेज नहर ब्रिटेन के भारतीय सामाज्य के जलमार्ग का प्रवेश द्वार है। ब्रिटन इराक में हवाई अड्डे बनाकर सैनिकों द्वारा उनकी रक्षा भी इसीलिए करता है क्योंकि वह भारत से वायुमार्ग द्वारा अपने सम्बन्ध अक्षण्ण बनाये रखना चाहता है । पूव के जो देश ब्रिटिश मामाज्यवाद की बेड़ियों में जकड़े हुए है व यह भली भाँति जानने है कि भारत की स्वतन्त्रता में उनकी स्वतन्त्रता है और इसी कारण से उन्होंने राजनैतिक पथप्रदर्शन के लिए मदैव भारत की ओर देखा है। भारत के राष्ट्रीय संघर्ष ने इन