पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/१४३

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मुस्लिम लीग का मंशोधन जी श्री मुहम्मद इस्माइल खॉ के द्वारा रखा गया यह था :-वश कि किसी माने हुए समझोन के अभाव में संघविधान सभा में मुसलमानों के प्रतिनिधियों की संख्या और निर्वाचन प्रणाली वही होगी जो माम्प्रदायिक पारितोषिक (Com- munal award) के द्वारा उन्हें दी गई है और बशर्ते कि संविधान सभा को मुसलमानों के वर्तमान सामाजिक धार्मिक और राजनैतिक अधिकारों और वैयक्तिक नियमों में नीन चौथाई मुस्लिम प्रतिनिधियों की सहमति के बिना परिवर्तन करने का कोई अधिकार नहीं होगा। दूसरा संशोधन जो नवाब डाक्टर सर मुहम्मद अहमद सईद खाँ ने पेश किया इस प्रकार था बशन कि जमीदारों दलित वगी और अन्य अल्पसंख्यकों को संविधान सभा में पर्याप्त और विशेष प्रतिनिधित्व दिया जायगा और विधान सभा वैयक्तिक सम्पत्ति के उचिन और कानुनी अधिकारी और हिनों में हस्तक्षेप न करेगी। श्राचार्य नरेन्द्र देव ने ४ सितम्बर मन् १९३७ के अपने भाषण में मविधान सभा के विचार के पीछे जो सामाजिक अवलम्ब है उसका स्पष्ट व्याख्यान किया है। उन्होंने दोनों संशोधनों का प्रभावपूर्ण उत्तर भी दिया! ---मम्पादक । प्राचार्य नरेन्द्र देव : श्रीमन इस प्रस्ताव पर बम करने मे पहिले मै एक चेतावना दे देना अवश्यक समझता हूँ। आप जानते हैं श्रीमन् कि यह प्रस्ताव इस ममा के सामने कांग्रेस के निर्देश के अनुसार रखा गया है । इसके बारे में कुछ भ्रम और संशय प्रतीत होता है । इसमें उलझे हुए अनेक विचार निहित हैं । इसके पहिले कि इस पर मत लिया जाये में अपने माननीय विपक्षी मित्रों को यह बता देना चाहता है कि कांग्रेस का ध्येय पूर्ण स्वतन्त्रता है और