पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/१४६

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( ११६ ) चाहते कि संविधान ममा ब्रिटिश पालियामेन्ट द्वारा बुलाई जाय । हम ब्रिटिश पार्लियामेंन्ट से अपने अर्थिक और राजनैतिक ढाँचे के निर्माण में कुछ भी सम्बन्ध नहीं रखना चाहते । इसलिए श्रीमन् मै यह बता दें कि मंविधान सभा एक ऐसी वस्तु है जो अर्द्ध क्रान्ति की अवस्था में ही बनाई जा सकती है। हमें ऐमी मभा चाहिये जो जनता की इच्छा को कार्यान्वित कर सके और यह तभी सम्भव है जब हम ब्रिटिश गवर्नमेंन्ट के प्रभुत्व से मुक्त हो जॉय । हमें जनसमुदाय को मंगठित करके परिचालित करना है जिससे हम एक अहिंसात्मक क्रान्ति करने में सफल हो सकें। उस क्रान्ति के पश्चात् संविधान मभा का आह्रान होगा। संविधान सभा वह सभा है जिसमें विधान को बनाने और परिवर्तित करने की शक्ति हो । उस शक्ति को हम उत्पन्न करना चाहते हैं जिसमे जनता की मांग निर्बाध हो जाय और दूसरो के द्वारा टुकराई न जा सके । हम ब्रिटिश गवर्नमेंन्ट से कोई मांग नहीं करते । हम तो ब्रिटिश गवर्नमेंट को चेतावनी देते हैं कि भविष्य में हमारा नारा संविधान सभा का होगा और संविधान सभा भारतवासियों की महत्त्वाकांक्षाओं का मूर्तरूप है। हम सरकार को यह बता देना चाहते है कि हम इस क्रांतिकारी पथ पर चलना चाहते हैं और इससे तनिक भी इधर उधर हिलना नहीं चाहते। मैं जानता हूँ श्रीमन कि बहुत से तत्वों के कारण वादविवाद में कुल अवास्तविकता श्रा गई है और मैं मानता हूँ कि सरकार का भी उसमें भाग रहा है। मैं इस मामले में सरकार की कठिनाइयों का भली भॉति अनुमान लगा सकता हूँ ! मैं जानता हूँ कि सरकार की अपनी सीमायें हैं । उसको बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है । अनेक अवसरों पर उसे बहुत संयम से काम लेना पड़ता है । उसे नर्मी और मधुरता अपनानी पड़ती है और अनेक हितों को संतुष्ट करना पड़ता