पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/१४८

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( १२१ ) रूप में नया नामकरण हुया है। क्या मैं इस पार्टी से अपने नाम के अनुरूप बनने का अनुरोध कर सकता है उन्हें भारत की स्वतंत्रता के पक्ष में वोट देनी चाहिये जिसका तात्पर्य है ब्रिटेन से सम्बन्ध विच्छेद मैं उनसे कहना चाहता है कि यदि वे भारतीय राजनीति में सक्रिम शक्ति बनना चाहते हैं और यदि वे चाहते हैं कि राष्ट्र की मन्त्रणाओं में उनकी मम्मति का महत्व हो, तो उन्हें प्रगति के पक्ष में मम्मिलित हो जाना चाहिये । हम सब उनका स्वागत करेंगे। हम उनसे इस नवीन मार्ग पर द्रुतगति से अग्रसर होने की आशा नहीं करते। हम नो इतने ही से सन्तुष्ट हो जायेंगे यदि वे निर्दिष्ट पथ पर धीमे धीमे कदम बढ़ाते चलें हम जानते हैं कि उन्होंने कुछ प्रगति तो कर ली है। चुनावों की आवश्यकताओं से बाध्य होकर एक पग आगे तो वे बढ़ चुके हैं । मैं चाहता हूं कि वे कुछ और भी आगे बढ़ें। श्रीमान में उन्हें यह बताना चाहूंगा कि इस देश में एक नवीन विचार का जन्म हो चुका है और वह यहाँ जमने के लिए ही उपजा है। उसका बचपन बीत चुका है और यौवन का विकास हो रहा है । वह जीवित रहेगा और अच्छी तरह रहेगा । क्योंकि वह सामाजिक विचार है, अतः वह शीन ही पूर्ण होना चाहेगा । इसलिए यदि वे प्रगतिशील समय में रहना चाहते हैं तो उन्हें उनके साथ सम्मिलित हो जाना चाहिये जो आजादी के लिए दृढ़प्रतिज्ञ हैं । यदि वे ऐसा नहीं कर सकते तो अपना रास्ता अलग चुन ले परन्तु उन्हें किसी भी दशा में हमारे रास्ते का रोड़ा नहीं बनना चाहिए । नबाब सर मुहम्मद यूसुफ ने कहा है कि समाजवाद विदेशी चीज है और इसलिये उसका बहिष्कार किया जाना चाहिये । परन्तु जनतन्त्र का विचार मी विदेश से पाया है और हमने उसे अाँख बन्द करके मान लिया है। हम ब्रिटेन की पार्लियामेंन्टीय प्रणाली के अन्धभक्त हैं और एक