पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/१५०

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( १२३ ) नहीं बांधना चाहते । ऐसा प्रयास करना भी हमारे लिए व्यर्थ होगा। कलकत्ते के अश्वगोरे दैनिक स्टेट्समैन ने जो कॉग्रेस-पक्षपाती महीं है, कहा है कि इस देश की भूमि व्यवस्था पृथ्वी पर की मबसे बड़ी विषमता है। हम यथासम्भव शीघ्र इस विषमता से छटकारा पाना चाहते हैं। अब श्री रन् . मैं कुल शब्द उस संशोधन विषय में कहूंगा जो मुस्लिम लीग पार्टी की ओर से प्रस्तुत किया गया है । मैं जानता हूँ श्रीमन् , और मेरा यह दृढ़ विश्वास है कि इस देश के विभिन्न सम्पदाय, चाहे वे हिन्दू दो या मुसलमान, अपने संकीर्स और साम्प्रदायिक हितों का अधिकाधिक ध्यान रखते हैं और उन विस्तृत प्रश्नों पर कभी विचार नहीं करते। शेख मुहम्मद हबीबुल्ला : उन धनियों और बौहरों के विषय में श्राप क्या कहते हैं जो काँग्रेस में हैं ? श्राचार्य नरेन्द्रदेव : मैंने इस विषय में काफी सुन रखा है और मैं जानता हूं कि जमींदार लोग बौहरों के सिर कृषकों की दुर्दशा का सारा दोष मढ़ कर उससे बरी होना चाहते हैं। यह मैं मानता हूं कि किसानों के कुछ कष्टों का कारण बौहरों का कठोर बर्ताव है । कहा जाता है कि भारतीय किसान कर्ज के भार से दबा हुश्रा पैदा होता है, कर्ज में जीवन भर रहता है और अन्त में कर्ज से लदा हुआ ही मर जाता है । परन्तु इस मामले में भूमिपतियों की जो भारी जिम्मेदारी है उससे मैं उन्हें मुक्त करने को तय्यार नहीं हूं । भूमिपति कहते हैं कि बौहरे और सूदखोर ही जनसमुदाय की वर्तमान गरीबी के एकमात्र कारण हैं, और स्वयं वे उसके उत्तरदायित्व से बचना चाहते हैं । दूसरों के मत्थे अपना सारा दोष