पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/१५२

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निर्माण किया जा रहा है । मुझे यकीन है कि मेरे विपक्षी मित्र इस बात को बहुत बुरा समझते हैं, परन्तु क्या इसकी कोई गारण्टी है कि भारत के मुसलमान कभी भी अपने जीवन का ढङ्ग बदलने की आवश्यकता का अनुभव न करेंगे। हो सकता है कि भावी भारत की मुस्लिम सन्ताने इस्लामी मंसार के प्रगतिशील विचारों को अपना लें, और मम्पूर्ण देश के लिए एक से कानून की मॉग करें। क्या मेरे विपक्षी मित्र भविष्य के हिन्दु अथवा मुस्लिम प्रतिनिधियों को जनता की भावनायें ध्वनित करने और उनका क्रियात्मक रूप देने से रोक सकेंगे ? परन्तु हो यदि मुसलमान ऐसा ही चाहते हो कि उनके लिए वैसा कागजी कानून बना दिया जाय, तो उनकी भावनाओं का अवश्य ध्यान रखा जायगा । इसलिए मैं अपने मुस्लिम दोस्तों से कहूंगा कि संशोधन प्रस्तुत करन से पहिले थे दो बार नहीं तीन बार सोच लें। एक सदस्य : क्या विधान सभा की बैठक पाँच-सात पीढ़ियाँ बीत जाने पर होगी अथवा कब ? मै तो समझता हूं कि निकट भविष्य में ही उराका अधिवेशन होना सोचा जा रहा है। प्राचार्य नरेन्द्र देव : हॉ, निकट भविष्य में ही; परन्तु कोई नहीं कह सकता कि वह भविष्य कब आयेगा । जहाँ तक निर्वाचन के डङ्ग का प्रश्न है, जो मुस्लिम लीग के संशोधन के दूसरे भाग का विषय है, मैं समझता हूं कि वह मुसलमानों के एक बहुत ही छोटे हिस्से के हित में उठाया गया है । केवल उच्च श्रेणी के लोगों को ही इस मामले में दिलचस्पी है। परन्तु जहाँ उनके हितों की दृष्टि से प्रणाली में परिवर्तन की आवश्यकता है, वहाँ वे भी दूसरी तरह सोचने लगे हैं । श्रीमन् , यह कह सकता हूं-और सम्भवतः यह एक साहसपूर्ण भविष्यवाणी