पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/१५९

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आजादी की लड़ाई [४] रियासती जनता से (१९१६) [श्राचार्य नरेन्द्रदेव ने गुजरात के पञ्चमहल परगने में दोहद के स्थान पर १४ और १५ मई सन १६३६ को हुई मध्यभारतीय रियासती जनता की कान्फरेंस का सभापतित्व किया। श्री कमलशङ्कर पांण्ड्या स्वागत-समिति के प्रधान थे। ग्वालियर, इन्दौर, रतलाम, उज्जैन, राजगढ़, भोपाल बड़नगर और मध्यभारत की अन्य रियासता के विभिन्न प्रजामण्डलां के प्रतिनिधि वहाँ उपस्थित थे 1 हजारों व्यक्तियों ने कान्फरेस में भाग लिया, किमानों के जत्थ दूर-दूर से पैदल और बैलगाड़ियों में पर्चे और इश्तहार लिए हुए आये। प्राचार्य नरेन्द्र देव १६० मिनट तक सहज स्फुरण से बोले । उनके भाषण में से कुछ अवतरण यहाँ दिये जाते हैं । -सम्पादक मै आप सबों को धन्यवाद देता हूँ कि आपने शेष भारत से पिछड़ी हुई मध्यभारत की डेढ़ करोड़ जनता की सेवा करने का अवसर मुझे दिया। इन रियासतों में अत्याचार और नृशंसता के अनेक उदाहरण मुझे मिले हैं। रियासती जनता की यह कठिन समस्या अब इस अवस्था पर पहुंच गई है कि ब्रिटिश भारत के लोग अपने स्वातंत्र्य १३२