पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/१६८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

समाजवादी एकता की समस्यायें (१९३८) ममाजबादी एक शक्तिशाली सामाज्यवाद-बिरोधी माचो बनाना चाहते हैं, जिसस देश म्वाधीन हो सके और उसमें एक ऐमा लोक- तन्त्र स्थापित किया जा सके जिसमें जनता का अार्थिक जीवन समाजवादी आधार पर संगठित हो। इन दृश्यों की पूर्ति के लिये समाजवादी पंक्तियों में एकता की अावश्यकता है-विशेषकर वर्तमान कठिन समय में जब कि राष्ट्रीय अान्दोलन एक नवीन दिशा अपना रहा है, जब कि पीडित और शोषित जन समुदार को एक विराट हमले की तैयारी करनी है, और जब कि कांग्रेसी नेतृत्व का एक भाग वामपक्ष को दबाने के लिए उस पर आघात कर रहा है। अब इस एकता के प्रश्न को और आगे के लिए टालगा मम्भव नहीं है। कांग्रेस-समाजवादी पार्टी ने प्रारम्भ से ही मब समाजवादियां मे एकता स्थापित करने का प्रयत्न किया है। परन्तु गन काल में पार्टी और उसके ऐक्य-प्रयत्नों के पति हमारे साम्यवादी भित्री का रवैया उदासीनता का ही नहीं, अपितु स्पष्ट शत्रुता का रहा है । उन्होंने पार्टी पर अन्य लांछनों के साथ-साथ सामाजिक-फासिस्ट पार्टी होने का लाञ्छन लगा कर उसे बदनाम करने का प्रयास १४१