पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/१७३

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C पार्टी में समाजवादी एकता स्थापित करने की नीयत से नहीं बल्कि कांग्रेस किमान अान्दोलनों में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए घुसना चाहते हैं । इस प्रकार की शङ्कार्ये पहिले ही समाजवादियों में व्यापक रूप से फैली हुई है, और उनकी जिम्मेदारी माम्यवादियों पर है। यथार्थ में, साम्यवादियों की एकता की चाह का ठीक पता आज श्रमिक आन्दोलन से लग सकता है। साम्यवादियों को समय असमय हमारी पार्टी में सम्मिलित होने की मांग को नहीं उठाते रहना चाहिये । कोई भी व्यक्ति एक समय में दो राजनैतिक पार्टियों के प्रति सच्चा नहीं हो सकता। कभी कभी यह मुझाव रखा जाता है कि किसी राजनैतिक पार्टी में उससे मिलती जुलनी प्रत्येक प्रवृत्ति को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिये और इसी अाधार पर साम्यवादियों को कांग्रेस-समाजवादी पार्टी में सम्मिलित करने की मॉग रखी जाती है। हम भी अपनी पार्टी में कृत्रिम सैद्धान्तिक एकता नहीं चाहते। कोई भी पार्टी प्रवृत्ति-विविधता को दबाकर और यन्त्रवत् एकता उत्पन्न करके नहीं बढ़ सकती। सैद्धान्तिक विभेद प्रायः पार्टी के विकास में सहायक होते हैं परन्तु इसका तात्पर्य यह नहीं है कि हम अपनी पार्टी के द्वार उन व्यक्तियों के लिए खोल दें जो प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से दूसरी पार्टी से प्रेरणा अथवा आदेश प्राप्त करते हों। जो लोग कांग्रेस समाजवादी पाटी में साम्यवादियों को सम्मिलित कर लेने का आग्रह करते हैं वे यह भूल जाते हैं कि कांग्रेस समाजवादी पार्टी एक राजनैतिक पार्टी है वह कांग्रेस के समान अनेक वर्गों और समुदायों की सम्मिलित संस्था अथवा राष्ट्रीय पार्लियामेंन्ट नहीं है।