पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/१७२

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( १४५ ) बिकल्प यह है कि साम्यवादी पार्टी और कांग्रेस-समाजवादी पार्टी दोनों को समाप्त करके उपर्युक्त प्राधारों पर एक नई मार्क्सवादी पार्टी संगठित की जाय। यदि इन दोनों विकल्पों में से कोई भी माम्यवादियों को मान्य न हो तो फिर दोनों पार्टियों को अपनी पृथक स्वतन्त्र सत्ता रखते हुए संयुक्त मोर्चा बनाना चाहिए। इस कार्य के लिए एक सहयोग समिति बनानी पड़ेगी जिसमें दोनों पार्टियों के प्रतिनिधि हो। सैद्धान्तिक मतभेद रखते भी विभिन्न प्रवृनियों के समाजवादियों का ऐसे आधार पर सम्मिलित कार्य करना सम्भव है । परन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि साम्यवादी अभी ऐसी सहकारिता के लिए प्रस्तुत नहीं है । वे जहाँ एक ओर कांग्रेस समाजवादी पार्टी में साम्यवादियों के प्रवेश के लिये शोर मचा रहे हैं वहीं दूगरी ओर वे उन श्रमिक संस्थाओं के नेतृत्व में समाजवादियों को हटाने के लिये प्रयत्नशील दिखाई पड़ते हैं, जिनका समाजवादियों ने अथक परिश्रम करके निर्माण किया है और जिनमें उन्होंने साम्यवादियों को कार्य करने का अवसर दिया। साम्यवादियों की इन हरकतों से पता लगता है कि वे श्रमिक अान्दोलन में अपनी पार्टी के अतिरिक्त अन्य किसी भी पार्टी का सहन नहीं कर सकते। यदि वे सब क्षेत्रों में समाजवादियों के सहकारी बनना चाहते हैं, तो उन्हें श्रमिकों में समाजवादी प्रभाव को कम करने के लिए की जाने वाली अपनी हलचलों को समाप्त करके अपनी इस इच्छा की अभिव्यक्ति करनी चाहिये । यदि ये ऐसा न करें, तो कांग्रेस-समाजवादियों को यह निष्कर्ष निकाल लेना चाहिये कि साम्यवादी हमारी प्रभाव