पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/१९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मई सन् १९३४ में, पटने में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक हुई। उसका उद्देश्य था सम्पूर्ण स्थिति पर फिर से दृष्टिपात करना और सविनय अवज्ञा आन्दोलन को समाप्त करके वैधानिक कार्यक्रम अपनाना। उसको निरे विधानवाद की ओर बह जाने ने रोकने और देश के सामने एक अधिक गतिशील कार्यक्रम रखने के लिए समाजवादी कांग्रेसियों की एक कांग्रेस भी वहीं बुलाई गई । श्राचार्य नरेन्द्रदेव को उसके सभापतित्व के लिए नामान्त्रित किया। उनके पाण्डित्यपूर्ण अभिभाषण का अच्छा प्रभाव पड़ा । एक अग्विल भार- नीय कांग्रेस समाज वादी समुदाय की रचना हुई और जयप्रकाश जो उसके संगठन मत्री बनाए गए । उम समय में लेकर नरेन देव जी भारत के नमाजवादी आन्दोलन के पथ-प्रदर्शक, दार्शनिक और मित्र रहे हैं। मन् १६३६ में जव पंडित जवाहरलाल नेहरू दूसरी बार कांग्रेस के प्रधान चुने गए, तो उन्होंने अपनी कार्यसमिति में नरेन्द्र देव, जय- प्रकाश और अच्युत पटवर्धन को सम्मिलित किया । अगले वर्ष श्राचार्य जी संयुक्तप्रान्तीय कांग्रेस कमेटी के प्रधान चुने गये। उन्होंने मयुक्त- प्रान्त की कांग्रेस सरकार द्वारा नियुक्त माध्यमिक शिक्षा पुनर्गठन ममिति की भी प्रधानता की, जिसकी रिपोर्ट सब पोर प्रशंमित हुई । पिछले अनेक वर्षों से प्राचार्यजी भारतीय किसानों की समस्यायों में गहरी दिलचस्पी ले रहे थे । अब उन्होंने उन्हे मंगटित करने का वीडा उठाया । संयुक्तप्रान्त के एक प्रमुख किसान नेता और केन्द्रीय किसान संघ के जनरल सेक्रेटरी श्री० मोहनलाल गौतम, एक अन्य विख्यात क्रांतिकारी नेता सेट दामोदरस्वरूप, तथा संक्तप्रान्तीय कांग्रेस कमेटी के वर्तमान प्रधान और जनरल सेक्रेटरी पंडित अलगूराय शास्त्री भी कांग्रेस समाजवादी पार्टी में सम्मिलित होगये । जनवरी सन् १६३६ में, मेरठ में समाजवादियों के द्वितीय वार्षिक