पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/१९८

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युद्ध-साम्राज्यवादी अथवा जनता का ? (१६४२) पार्टी ने सदैव युद्धों को अँगली बता कर उनकी निन्दा की है। परन्तु युद्धों के प्रति उसका दृष्टिकोण सिद्धान्ततः शान्तिवादियों और पूर्ण अहिंसावादियों के रुख से भिन्न है । पार्टी का युद्ध-विरोधी रवैया मूलतः राजनैतिक कारणों पर आधारित है। हम अनु- भत्र करते हैं कि शोषण के ऊपर टिके हुए समाज में युद्ध अवश्यम्भावी है, और इसलिए हम मानने हैं कि प्रतिस्पर्द्धात्रों योर झगड़ों की जड़ों को मिटाये बिना और समाजवाद स्थापित किये बिना युद्धों का अन्त असम्भव है। हम यह भी मानते हैं कि कुछ युद्ध न्यायपूर्ण और प्रगतिशील प्रकार के भी होते हैं---उदाहरण के लिए पीड़ित राष्ट्रों द्वारा अपने उत्पीड़कों के विरुद्ध, कृषकों द्वारा भूमिपतियों के विरुद्ध और श्रमिकों द्वारा अनिकवर्ग के विरुद्ध लड़े गये स्वातन्त्र्य-युद्र । ऐसे युद्धों में समाज- वादियों की सहानुभूति विदेशी दासता से मुक्त होने के लिए हाथ-पाँव मारती हुई पीड़ित जाति की ओर, और धनिकवर्ग के पूँजीवादी शिकंजे से निकलने को छटपटाती श्रमिक जनता की