पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/२३०

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( २०३ ) समुदाय के हितों में क्या करना है, तो हम विवश होने पर, अस्थायी रूप से ऐसी व्यवस्था को अङ्गीकार कर सकते हैं जिसे हम हृदय से नहीं चाहते । परन्तु हमें अपने लक्ष्य को कभी अांखों से अोझल नहीं करना चाहिये । हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि हमारी जनता राजनैतिक और आर्थिक मामलों की ओर से उदासीन है । कोई भी विधान, चाहे वह कैसा ही मजबूत और वढ़िया क्यों न हो, इस देश में तव तक नहीं चल सकता, जब तक उसका उद्देश्य साधारण जनता को ऊँचा उठाने का न हो । जनता चल पड़ी है, और वह इस बात का ध्यान रक्खेगी कि उसकी अांखों में अब कोई धूल न झोंकने पावे ।