पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/२२९

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( २०२ ) वाले आर्थिक मसलों पर जोर दिया जाय । उनके आर्थिक हित एक से हैं, और समान हितों के आधार पर ही एकता स्थापित हो सकती है । समान अार्थिक हितों के लिए सम्मिलित संघर्ष करने से ही उनमें एकता की जड़ जमेगी। मैं निस्सन्देह लीग के साथ साम्प्रदायिक प्रश्न पर समझौते का स्वागत करूँगा, परन्तु इसका तात्पर्य यह नहीं कि मैं राजनैतिक क्षेत्र में उसके साथ सम्मिलित कार्य का पक्षपाती हूँ | जब तक दृष्टि- कोण और लक्ष्यों की समानता न हो, तब तक इस प्रकार की एकता या तो अल्पकालीन होगी अथवा देश की प्रतिक्रियावादी शक्तियों को दृढ़तर बनाने में परिणामित होगी। हां, उन विशिष्ट मसलों पर जिनमें सहमति सम्भव हो. लीग के साथ संयुक्त मोर्चा बना लेना बुरा नहीं है । मैं साम्प्रदायिक एकता में और देश की सब प्रगतिशील शक्तियों की राजनैतिक एकता में विश्वास करता हूं । मैत्री-सम्बन्ध करने में हमें किसी संस्था के प्रगतिशील स्वरूप पर विशेष ध्यान देना चाहिये, उसके धार्मिक अथवा साम्प्रदायिक स्वरूप पर नहीं। जानता हूं कि कुछ क्षेत्रों में मेरे मत को अनर्गल बताया जायगा, और बहुत से गण्यमान्य व्यक्ति उसे पसन्द नहीं करेंगे, परन्तु मुझे लोक-मानस में हलचल मचाने वाले प्रश्नों पर अपने विचार साफ २ रख देने में संकोच नहीं करना चाहिए । मैं वर्तमान स्थिति की भारी उलझन को समझता हूँ और यह भी जानता हूँ कि उसको सुलझाने के लिए कोई सरल तरीका नहीं निकाला जा सकता, परन्तु पास की और दूर की नीतियां सदैव होती हैं । यदि हम स्पष्ट रूप से यह समझे हुए हैं कि हमें जन