पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/२३७

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( २१० ) कर्तव्य है कि वे अपने समान अश्य की प्राप्ति के लिए एक हो जाय । जनता अाशा लगाय वैठी है और यदि उसे यह विश्वास दिलाया जाय कि उसके बलिदान व्यर्थ नहीं जायेंगे, और मरे हुओं को और भी मारने के काम में नहीं ला जायगे, तो वह भारी से भारी त्याग करने को तैयार है । यह निस्सन्देह है कि यदि हम अाज जो कुछ हो रहा है उसे होने दें, तो जो बुराइया पिछले युद्ध के पश्चात् उत्पन्न हुई थी, वे फिर लौट ग्रायेगी । ये मसले इतने गहरे हैं और इनका मानव-सुल के साथ इतना पनि सम्बन्ध है कि हम केवल अरने लिए खतरा उटा कर ही इनकी उपेक्षा कर सकते हैं । यदि उपर्युक्त विचार-ष्टि सही, है तो एशिया को सुख का समय नहीं मिलेगा । हमे जानना चाहिये कि प्रत्येक अोर से सहायता ओर सहानुभूति का रवागत करते हुए भी हमें मुख्यतः अपने ऊपर ही निर्भर रहना पड़ेगा। ऐसा प्रतीत होता है कि सामाज्यवादी शक्तियों की नितान्त वापरता भार हसालता के कारण पूर्व के पराधीन देशों का स्वतन्ना-पाति के लिए संगटित होना अनिवार्य हो जायगा। अमेरिका और रूप युद्ध काल में दिखाई गई अमेरिका की सद्भावना और सहायता के ऊपर अत्यधिक भरामा करने की मनोवृत्ति निकम्मी है । ऐमा प्रतीत होता है कि आने वाले दिनों में अमरीका ब्रिटिश साम्राज्य के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप करने से अधिकाधिक इन्कार करेगा । यदि यह समाचार सत्य है कि सोवियत रूस के विरुद्ध एक आंग्ल- अमरीकन गुट बनने जा रहा है, तो इससे उपयुक्त विचार की और भी पुष्टि होती है। यह भविष्यवाणी करना अधिकाधिक कठिन होता जा रहा है