पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/२३९

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( २१२ ) उसके प्रांतरिक मामलो में हस्तक्षेप करने का उसका कोई इरादा नहीं है, अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय दिया है। भारत का भविष्य चीन के भविष्य के साथ वेधा हुअा है और इसलिए हमारा यह कर्तव्य होगा कि हम अपने इस सच्चे और महान मित्र के सब अवस्थानों मे साथी रहे । अब यह कुमिन्तांग के नेताओं के ऊपर है कि वे अपनी सरकार को प्रजातन्त्रीय बनाये और जनता को मुग्व मुविधायें देने के लिए उग्र उपाय काम मे ले । हमें अाशा करनी चाहिए कि अपनी स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष करने वाले प्रत्येक एशियाई देश को चीन की सहानुभूति और सहायता उपलब्ध हो सकेगी परन्तु हम जानने हैं कि यह केवल उसी हद तक सम्भव हो सकेगा जिस हद तक राष्ट्र-संघ के अन्य सदस्यों के प्रति उसके कर्तव्य उसे ऐसा करने देगे। भारत का भाग केवल भारत इस प्रकार के किसी भाव से बंधा हुया नही होगा परन्तु उनकी पराधीनता उसे अाज दूसरों की कोई ठोस सहायता न करने देगी । इतना अवश्य है कि भारत एशिया की स्वाधीनता का प्रतीक होगया है । हम यह दग्वते रहना है कि यह प्रतीक टूट न जाय । युद्ध-काल में हमने जो पक्ष लिया था उसके कारण भारत वर्तमान युग का प्रश्न चिन्ह बन गया है और एशिया के सभी देश उत्सुकना से उस दिन की प्रतीक्षा कर रहे हैं जब भारत स्वाधीन होगा, क्योंकि वे मन ही मन अनुभव करते हैं कि भारत उनकी मुक्ति की कुंजी हैं। उन्हें इस तथ्य का पता है कि युद्धकाल में हमारा पक्ष सम्पूर्ण एशियाई और अफ्रीको जनों की स्वाधीनता की मांग रखने का था । हम श्राशा करनी चाहिए कि भारत अपनी स्वतंत्रता के लिए प्रयत्न करता हुआ भी अपने कम भाग्य-